पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/३८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३५४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

से बहुत सारे लोग पड़े हुए हैं। हमारे विद्वान् नेता श्रद्धेय लाला लाजपतराय भी इस मोहसे ग्रस्त हैं। सदैव पूजनीय मदनमोहन मालवीय भी यह मानते हैं कि मेरी मति फिर गई है और मैं सबको गलत रास्तेपर ले जा रहा हूँ। उनकी धारणा है कि विधान परिषदोंमें जाना धर्म है, और स्कूलोंमें जाना भी धर्म है। मेरे मतानुसार विधान परिषदों और अदालतोंमें जाना पाप है, स्कूलोंमें जाना तो महापाप है।

मैं वकीलोंको नहीं समझा सकता; इसका कारण है। मायाके प्रति उनके मोहसे मैं भली-भाँति परिचित हूँ। बाल-बच्चों, आरामकुर्सियों और मोटरकारका त्याग मुश्किल है; लेकिन विद्यार्थीके लिए ऐसी कोई बात नहीं है। हम उसे जिस ओर मोड़ना चाहें मोड़ सकते हैं। यदि विद्यार्थी गुलामीकी शिक्षा लें और नौकरीके लिए स्कूलोंमें जाते ही रहें और मैं इन्हें न रोकूँ तो साम्राज्य निर्मूल नहीं होगा। मैं उसकी जड़ काटना चाहता हूँ। विद्यार्थियोंकी मार्फत साम्राज्यकी जड़ोंको पानी मिलता है; यह जल नायगरा फाल्स——गंगा, जमुना और ब्रह्मपुत्रके एकत्रित जलके समान है। आप संकेत-मात्रसे समझ जायेंगे कि यह भ्रामक शिक्षा, गुलामीकी विद्या हमें नहीं चाहिए। हम जबतक गुलामीसे मुक्त होनेके इस ककहरेको नहीं सीखते तब-तक सब व्यर्थ है। मलिन पात्रमें दूध उँडे़लनेसे पात्र तो साफ नहीं ही होगा, दूध भी मलिन हो जायेगा। जबतक हम गुलामीके मैले पात्र बने हुए हैं तबतक हमारी सारी शिक्षा बेकार है। आकाशमें अगर देवता बैठे हुए हों और वे देखें कि हिन्दुस्तान का पात्र मैला है, तो वे भी शिक्षाकी बरसातको वृथा मानेंगे। इसलिए पहले साफ बनो। यदि आप कानून अथवा चिकित्सा-शास्त्रकी शिक्षा प्राप्त नहीं करते तो इससे हिन्दुस्तान रसातलको नहीं चला जायेगा। गुलामीसे वह रसातलको चला जायेगा और तब भारतको मनुष्योंका नहीं, जानवरोंका देश माना जायेगा। अगर कोई व्यक्ति किसीके भयसे, बड़े साम्राज्यके भय अथवा दबावसे, अपने मनोगत भावोंको अभिव्यक्त न कर सके तो इसे ही गुलामी कहते हैं। इससे छुटकारा पाना हमारा पहला सबक है। जलियाँवाला हत्याकाण्ड और इस्लामके अपमानसे मुझे जो धक्का लगा है, मैं चाहता हूँ वैसा धक्का सबको लगे।

आज हिन्दुओंको दो तरह के संकटोंका सामना करना है। यदि मुसलमान गुलाम बन जायेंगे तो उनकी मार्फत हिन्दुओंको गुलाम बनाया जायेगा। यह एक त्रैराशिकका उदाहरण है। मुझे हिन्दू धर्मका रक्षण करना हो, उसकी छायामें बैठकर ईश-भजन करना हो तो मुसलमानोंकी मदद करना मेरा कर्त्तव्य है। मुसलमान यदि भविष्यमें अत्याचार करें तो मैं उनसे कहूँगा, "भाई, पहलेके दिनोंको याद करो।" आप भी कह सकते हैं हममें से गांधी नामका एक व्यक्ति——चाहे वह कैसा भी था——हमारे लिए कुछ कर गया। तथापि इससे भी बात न बने तो आप लोग लड़ लेना। मैं तो मर्द बनने के लिए कहता हूँ। जो व्यक्ति लाठी उठाकर लड़ते हुए मरना चाहता है उसकी अपेक्षा लाठी छोड़कर मरनेको तैयार व्यक्तिमें अधिक मर्दानगी है। लाठीके सहारे अथवा डोलीमें बैठकर हिमालय चढ़नेवाले मनुष्यकी बनिस्बत इन चीजोंका सहारा लिए बिना ही हिमालयपर चढ़नेवाले व्यक्तिके फेंफड़े कितने मजबूत होने