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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

की आशा रखता हूँ, "हम विद्या बिना रहेंगे अथवा अपनी शर्तोंके अनुसार पढ़ेंगे।" यदि समस्त विद्यार्थी इतने आत्मबलका परिचय दें तो एक महीनेके भीतर मनोनुकूल फलकी प्राप्ति हो। तथापि अगर दो-चार विद्यार्थियोंको ही मेरा यह सुझाव जँचे तो कमसे-कम वे लोग आज ही से स्कूल जाना छोड़ दें। उनसे मैं कहूँगा कि आपने स्वराज्य-प्राप्तिकी दिशामें एक कदम उठाया है और यह आपके देशप्रेमकी एक अत्यन्त मुखर अभिव्यक्ति है। आपको घरसे मदद न मिले तो मजदूरी करें; हाथ-पैर हिलाना न सीखा हो तो हिलाना सीखें लेकिन गुलामीके बन्धनमें न पड़ें। विद्यार्थियो! अगर आप भारतके लिए स्वराज्य चाहते हैं तो आपको स्कूलों, अदालतों और विधान परिषदोंके मोहका परित्याग करना चाहिए। स्वराज्य-प्राप्तिकी दिशामें सबसे पहला और अन्तिम काम अपने आपको निर्मल बनाना है। जिसको दाँत दिये गये हैं उसको चावल देनेवाली शक्ति सरकार नहीं है; बल्कि वह तो सरकारोंकी भी सरकार है। यह हमारा पहला पाठ है; इसे हम भूल गये हैं। मैं तो सेठ अथवा सरकारके चावलको स्वीकार नहीं करता। सरकारका अस्तित्व होते हुए भी उड़ीसामें हजारों अकाल-पीड़ित काल-कवलित हो गये। भारतमें अनेक सेठोंके बावजूद हजारों अकालग्रस्त लोग हरिशरण गये। आप ईश्वरका नाम लेकर, धैर्यपूर्वक, किसी भी चीजकी परवाह किये बिना——कोई भी हिसाब-किताब किये बिना——गुरु और माता-पिताको नोटिस भेजिए कि हमसे स्कूल नहीं जाया जाता। चूँकि मैंने कहा है सिर्फ इसीसे उत्तेजित होकर नहीं; मैं तो आपके हृदय और बुद्धिको सतेज कर रहा हूँ। यदि आपकी बुद्धि और हृदय इस बातको स्वीकार नहीं करते तो किसी भी विद्यार्थीको यह अधिकार नहीं कि वह अपने गुरुजनोंकी अवमानना करे। ऐसा तो सिर्फ वही विद्यार्थी कर सकता है जिसका हृदय मेरी तरह ही धधक रहा हो। शराबी माँ-बापसे शराबकी लत छुड़वानेके लिए बालकको उनकी विरासतका, घर-बारका, उनके स्नेही आँचलका त्याग कर देना चाहिए। यदि आपको लगे कि आपको जो शिक्षा मिल रही है सो गुलामीकी छायामें मिल रही है तो माँ-बापकी आज्ञाके विरुद्ध जाकर कलसे ही आप इस यज्ञमें अपनी आहुति दें।

प्रश्न : महात्माजी, क्या आप मानते हैं कि आपके गिरफ्तार होने अथवा आपको देशनिकाला दिये जानेपर देशमें शान्ति बनी रहेगी?

उत्तर: हाँ, और शान्ति न रही तो समझँगा कि हम नालायक हैं। मैंने तलवार छोड़ी सो इस कारण नहीं कि मुझे वह चलानी नहीं आती अथवा मैं शक्तिहीन हूँ। आज भी मैं तलवारको तोड़नेकी शक्ति रखता हूँ। नुकीली कटारको अगर किसी व्यक्तिके पेटमें भोंकना चाहूँ तो भोंक सकता हूँ। तथापि मैंने इसे त्याग दिया है, क्योंकि इससे कुछ लाभ नहीं है। मेरे भाई शौकत अली अथवा भाई मुहम्मद अली गिरफ्तार कर लिये जानेपर देशमें शान्तिका वातावरण न रहे तो मैं तो यही मानूँगा कि हिन्दुस्तानके लोग अबतक अहिंसाको नहीं समझे हैं। ऐसी अशान्ति आयरलैंडमें हो सकती है, अरब देशमें हो सकती है। वहाँ सबको तलवार रखनेका अधिकार है और सब लोग उसका प्रयोग करना जानते हैं। मैं अगर उन लोगोंके