बोरिया-बिस्तर उठाकर बाहर फेंक देंगे। आजतक मनमें कुछ और मंचपर कुछ तथा शान्ति कहकर अशान्ति उत्पन्न करनेकी नीतिका अनुसरण किया जाता था; वह बात अब खत्म हो गई है। इन दोनों भाइयोंके प्रति मेरे मनमें इतनी श्रद्धा तो है ही कि जिस दिन वे अशान्ति पैदा करना चाहेंगे उस दिन पहलेसे ही नोटिस दे देंगे कि आजसे किसी भी अंग्रेजकी जानकी खैर नहीं। इस विषयमें आप इन दोनों भाइयोंसे पूछ लेना; आप चाहें तो इनसे अलग-अलग पूछ सकते हैं और मुझसे भी। तीनोंका उत्तर एक ही हो तो उसे स्वीकार कर लेना और हमारे गिरफ्तार किये जानेपर आप सब स्वयंसेवक बनकर शान्ति स्थापित करने के लिए अपने-अपने घरोंसे निकल पड़ना, नहीं तो मार्शल लॉ लागू हो जायेगा। उसकी तो कोई चिन्ता नहीं है; चिन्ता तो इस बातकी है, हममें संघर्षको इतनी देरतक टिकाये रखनेकी शक्ति है अथवा नहीं कि सरकारको मजबूरन मार्शल लॉ जारी रखना पड़े।
महात्माजी, आप अंग्रेजी स्कूलोंसे बच्चोंको उठा लेनेकी बात करते हैं लेकिन नगरपालिकाकी प्राथमिक पाठशालाओंसे बच्चोंको उठा लेनेकी सलाह क्यों नहीं देते?
नगरपालिकाएँ भी सरकारके अनुदानको छोड़कर और उससे सम्बन्ध तोड़कर स्वतन्त्र हो सकती हैं। नडियादकी नगरपालिका ऐसा ही कदम उठानेवाली है।
आप जब सरकारी स्कूलों आदिको छोड़नेकी बात करते हैं तब रेलगाड़ी और पानीके नल आदिके लाभको त्याग देनेके लिए क्यों नहीं कहते?
मैं प्रेक्टिकल आइडियलिस्ट[१]हूँ, इसलिए जनताके सामने सिर्फ वही बात रखता हूँ जो सम्भव हो। मेरे असहकारके सम्बन्धमें श्रीमती बेसेंटने जब यह सुझाव दिया कि सरकारको गांधी और शौकत अलीकी डाक बन्द कर देनी चाहिए, उन्हें रेलगाड़ीके टिकट जारी नहीं किये जाने चाहिए आदि-आदि, तब अपने भाईको मैंने बधाई दी। मेरे आसपास जो भाई बैठे हुए थे उनसे मैंने कहा कि अगर ऐसा प्रसंग आया तो वह निःसन्देह एक शुभ दिन होगा। इससे खिलाफत अथवा असहयोग के काममें कोई रुकावट नहीं आयेगी।
महात्माजी, चूँकि हमारे यहाँ प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य है, हम किसीसे स्कूल छोड़नेके लिए कैसे कह सकते हैं?
शिक्षा अनिवार्य है लेकिन स्कूल अनिवार्य नहीं है।
असहयोगके सम्बन्धमें देशी राज्योंमें क्या करना चाहिए?
देशी राज्यमें रहनेवाले लोग तो गुलामोंके गुलाम हैं। फिलहाल तो सीधे गुलामोंकी ही बात करें। तथापि वहाँ कोई अपने-आप ही स्कूल अथवा कालेज जाना छोड़ दे तो यह एक भिन्न बात है। वहाँ आन्दोलन करने मैं नहीं जाऊँगा; इससे देशी राज्योंकी विषम स्थिति हो जायेगी। लेकिन अगर बड़ौदाके गायकवाड़को यह लगे कि अपनी मुसलमान जनताके धर्मकी रक्षाके लिए मेरा राजपाट छोड़ना उचित है तो यह अलहदा बात है।
- ↑ व्यवहारनिष्ठ आदर्शवादी। मूलमें अंग्रेजी शब्द ही हैं।