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भाषण : रोहतकमें


सरकार अगर राष्ट्रीय स्कूलको बन्द करवा दे तो लोगोंको क्या करना चाहिए?

यह सरकार चतुर सरकार है, इसलिए ऐसा कदम नहीं उठायेगी और अगर उठायेगी तो इससे राष्ट्रीय शिक्षणमें कोई रुकावट नहीं आयेगी। इसके विपरीत जो विद्यार्थी और शिक्षक आज सरकारी स्कूलोंका त्याग नहीं कर रहे हैं, वे लोग भी उसी दिनसे उनका त्याग कर देंगे और शिक्षक घर-घर जाकर विद्यार्थियोंको पढ़ायेंगे। कोई भी सरकार इसे नहीं रोक सकती और अगर रोके तो इसका अर्थ होगा कि हिन्दुओंको 'गीता' नहीं पढ़नी चाहिए क्योंकि उसमें युद्धकी चर्चा की गई है तथा मुसलमानोंको 'कुरान' नहीं पढ़नी चाहिए। सरकार कदापि ऐसा कदम नहीं उठा सकती।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २०-१०-१९२०

 

१८६. भाषण : रोहतकमें

८ अक्तूबर, १९२०

मुझे याद है कि कलकत्तेमें गिरफ्तार किये गये मौलवियोंमें से एक मौलवी मुझसे मिले थे और उन्होंने बताया था कि उनके विरुद्ध मुकदमा चलाया जानेवाला है। उन्होंने मुझसे और शौकत अलीसे अनुरोध किया था कि जब उन्हें गिरफ्तार किया जाये तब मैं और शौकत अली पानीपत आयें। सो अपने वादेके अनुसार मैं शौकत अलीके साथ यहाँ आ गया हूँ। जहाँतक मौलवियोंके विरुद्ध लगाये गये आरोपोंका सम्बन्ध है, कहते हैं कि उनमेंसे किसीने अंग्रेजोंको "पाजी" कहा है। किसीको इस तरह गाली देना बुरी बात है और मुझे तो ऐसे शब्द मुँहसे निकालते हुए भी लज्जा आती है। मैं नहीं जानता कि यह बात सच है या झूठ, लेकिन यह बुरी बात है। मुझे इस तरह गालियाँ देना पसन्द नहीं। उनके विरुद्ध दूसरा आरोप यह है कि उन्होंने सरकारको बेईमान कहा; मैं कहूँगा कि सरकारने सचमुच ही भारतीयों और तुर्कीको धोखा दिया और श्री लॉयड जॉर्जने ऐसा किया। इसलिए सरकार बेईमान तो हैं। सरकारने भारतीयोंसे वादा किया था कि महायुद्धके पश्चात् वह उन्हें कुछ नये और खास अधिकार देगी और तुर्क साम्राज्यको सुरक्षित रखेगी। सरकारने अमृतसर और पंजाबके अन्य भागोंमें जो मेहरबानियां की हैं, उन सबसे आप भली-भाँति परिचित हैं। आप जबतक बलिदान देनेके लिए तैयार नहीं हो जाते तबतक स्वशासन कभी नहीं प्राप्त कर सकते। जबतक आप अपने क्रोधपर विजय प्राप्त नहीं कर लेते और आपमें एकता नहीं आ जाती तबतक आपको स्वतन्त्रता नहीं मिल सकती। सच्ची स्वतन्त्रता जेल जानेमें है। सत्यकी खोजमें आप सबको जेल जाना है और मैं विश्वासपूर्वक कहता हूँ कि तीस करोड़ लोगोंको कैद कर रखने योग्य जगह ही नहीं है। परिणामस्वरूप आप हिन्दुस्तान भरमें स्वतन्त्र होकर रह सकेंगे। स्वराज्य तभी प्राप्त हो सकता