१. लड़के और लड़कियोंका लालन-पालन इस विश्वासके साथ सीधे-सादे ढंगसे होना चाहिए कि वे निर्दोष हैं तथा निर्दोष रह सकते हैं।
२. चटपटे, स्निग्ध, तले हुए, मिठाई आदि व्यंजनों और गर्म तथा उद्दीपक भोजनसे परहेज रखना चाहिए।
३. पति और पत्नीको अलग-अलग कमरोंमें रहना चाहिए और एकान्तमें नहीं मिलना चाहिए।
४. मन व शरीर, दोनोंको निरन्तर किसी सत्कार्यमें निरत रखना चाहिए।
५. 'जल्दी सोना, जल्दी उठना' इस नियमका दृढ़तासे पालन किया जाना चाहिए।
६. हर प्रकारके असद् साहित्यसे दूर रहना चाहिए। अच्छे विचारोंसे बुरे विचारोंका नाश होता है।
७. वासनाओंको भड़कानेवाले थियेटर, सिनेमा आदिका बिल्कुल त्याग कर देना चाहिए।
८. नैश स्वप्नोंसे चिंतित होनेकी कोई आवश्यकता नहीं। ऐसे मामलोंमें मामूली स्वस्थ व्यक्तिके लिए प्रतिदिन ठंडे पानीसे स्नान करना बहुत अच्छा है। यह कहना गलत है कि यदा-कदा विषय-भोग कर लेनेसे बुरे स्वप्नोंसे बचा जा सकता है।
९. यह कदापि नहीं समझना चाहिए कि पति-पत्नीके लिए संयमका पालन करना लगभग असम्भव ही होता है। इसके विपरीत समझना यह चाहिए कि आत्मसंयम साधारण और सहज जीवन व्यतीत करनेका एक साधन है।
१०. आत्मशुद्धिके लिए प्रतिदिन अन्तर्मनसे प्रार्थना करें। इससे मन उत्तरोत्तर शुद्ध होता चला जाता है।
यंग इंडिया, १३-१०-१९२०
१९६. भाषण : असहयोगपर[१]
१४ अक्तूबर, १९२०
श्री गांधीने कहा कि यूरोपकी सबसे बड़ी ताकतसे हमारी यह लड़ाई चल रही है। ऐसी लड़ाईमें अगर हम विजय चाहते हैं तो हमें उसकी आवश्यक शर्तें समझ लेनी चाहिए। इनमें से एक शर्त है——संगठनको क्षमता। अंग्रेजों-जैसी संगठनकी क्षमताके बिना हम अपना कामकाज चला भी नहीं सकते। अपने एक पुराने अनुभवकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार मुझे दस हजार आदमियोंकी एक सैनिक टुकड़ीके साथ सुबहके पहले पहरमें चलनेका मौका आया था। सारे सैनिक पूर्ण अनुशासनका पालन कर रहे थे। लेकिन वह सैनिक ताकतसे जीती जानेवाली लड़ाई
- ↑ परेड मैदान, कानपुरमें आयोजित सभामें।