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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय



हम ऐसी [मौ॰ जफरुल्मुल्कका मुकदमा सार्वजनिक रूपमें चलानेकी] माँग कर ही नहीं सकते। ऐसी माँग करना यह बताता है कि जेलमें जानेकी हमारी नीयत नहीं है। समझमें नहीं आता कि हम ऐसा क्यों करते हैं। खुद जफरुल्मुल्कके लिए जेल महलके समान है। हमें तो ऐसा काम करना चाहिए, जिससे सरकार त्राहि-त्राहि पुकारे और हमारा माँगा हुआ दे दे अथवा हमें समुद्रमें डाल दे। गुलामीमें रहनेसे समुद्रमें डूबना बेहतर है।

मैं सरकारकी तुलना डाकूसे करता रहा हूँ। कोई डाकू हमारी जायदाद लूट ले जाये और बादमें हमें आधी वापस देना चाहे तो क्या हम उसे ले सकते हैं? परन्तु यह सरकार तो डाकूसे भी बुरी है। सरकारने हमारा सब छीन लिया है। इतना ही नहीं, वह तो हमारी आत्मापर भी अधिकार करना चाहती है। सरकार हमें गुलाम बनाना चाहती है। तो हमें उससे इतना-भर कह देना है कि जबतक हमारा वित्तमात्र ही नहीं, बल्कि हमारी इज्जत, हमारी आजादी वापस नहीं मिलती, तबतक तुमसे मुहब्बत रखना हराम है।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ३१-१०-१९२०

 

१९९. "मेरे अनुयायी"

यह पत्र[१]विधान परिषद्का चुनाव लड़नेवाले एक उम्मीदवारको मिला है। उसने इस पत्रकी हूबहू नकल मुझे भेजी है। लेखककी भाषा दोषपूर्ण है। या तो लेखकने स्वयं जान-बूझकर ऐसा लिखा है अन्यथा उसे बहुत सरल व्यक्ति होना चाहिए। उसने अपना नाम नहीं दिया। ऐसे पत्र लिखनेवाले व्यक्तियोंमें अपना नाम देनेकी हिम्मत नहीं होती।

गुजरातमें जबतक ऐसे लोग पड़े हैं तबतक हमें लज्जित होते रहना पड़ेगा। अपने आपको बोलशेविक उपनाम देकर वे 'बोलशेविज्म' को बदनाम करते हैं। बोलशेविज्मको मैं जिस रूप में पहचान सका हूँ उसके उस रूपपर मुझे कोई मोह नहीं है। लेकिन बोलशेविक नामर्द तो कतई नहीं होते। उपर्युक्त पत्र नामर्दगीका सूचक है। जो उम्मीदवार अच्छी नीयतसे विधान परिषदमें जाना चाहता है; उसके प्रति द्वेष किस लिए? उसका क्या अपराध है? यदि हम लोगोंके दिलोंपर प्रतिबन्ध लगाना चाहेंगे तो ऐसा करके हम बिलकुल वही करेंगे जो सरकार करती है अर्थात् हम भी सरकारकी तरह ही अमानवीय कृत्य करनेवाले कहलायेंगे।

विधान परिषद् जानेवाले उम्मीदवारको हमें तर्कसे हराकर, लोकमतकी प्रबलताको जताकर तथा प्रेमपूर्वक समझा-बुझाकर विधान परिषद् में जानेसे रोकना चाहिए। जोर-जबरदस्तीसे रोकेंगे तो उससे हमें कोई लाभ नहीं होगा, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है। इससे तो नुकसान ही होगा।

  1. उक्त पत्र यहाँ उद्धृत नहीं किया गया। इसमें उम्मीदवारको अपना नाम वापस न लेनेकी हालतमें मौतकी धमकी दी गई थी।