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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तलवारका अथवा असहयोगका। हिन्दू और मुसलमान दूसरे रास्ते अर्थात् असहयोगको अपना चुके हैं। हालाँकि कुछ लोग तलवार द्वारा स्वराज्य-प्राप्तिमें विश्वास रखते हैं लेकिन मुझे उस बातपर विश्वास नहीं है। आगजनी और हत्याओंसे भारतको स्वतन्त्र नहीं किया जा सकता। स्वराज्य-प्राप्तिकी दो अनिवार्य शर्तें हैं, पूर्ण एकता और बलिदान। बलिदान तभी सम्भव होगा जब लोग सरकारसे असहयोग करनेका निश्चय करेंगे। यदि हमने असहयोग किया तो हम एक वर्षके भीतर-भीतर स्वराज्य प्राप्त कर सकेंगे। हममें अनुशासनका अभाव है; इसका विकास किया जाना चाहिए। जबतक शहरों और गाँवोंमें अनुशासन नहीं, तबतक स्वाधीनता असम्भव है। हममें [परस्पर] ऐक्य और विश्वास होना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि भय और गुलामी तो एक साथ रह सकते हैं लेकिन भय तथा प्रेम नहीं। ईश्वर हमसे शुद्ध बलिदान चाहता है। हमें शुद्ध होना चाहिए। हमें सरकारी अदालतों, स्कूलों, सरकारी नौकरियों, विधान परिषदों तथा उपाधियोंका त्याग करना चाहिए और हाथका कता-बुना खद्दर पहनना चाहिए। मैं यहाँके वकीलोंसे पूछना चाहूँगा कि आप अब किस मुँहसे उन अदालतोंमें जाकर वकालतका धन्धा करते हैं जिन्होंने मार्शल लॉके दिनोंमें आप लोगोंको इतना अपमानित और लज्जित किया है। जबतक वे अपनी वकालत नहीं छोड़ देते तबतक भारतकी मुक्तिमें उनका हाथ होना असम्भव है। क्या हम अपने बच्चोंको उन्हीं स्कूलोंमें भेज सकते हैं, जहाँ उन्हें सजाके तौरपर दिन-भरमें सोलह मील पैदल चलनेपर विवश किया गया था? स्वाधीनताका पहला पाठ यह है कि हम अपने बच्चोंको बतायें कि यद्यपि हम गुलाम हैं लेकिन हम यह नहीं चाहते हैं कि तुम भी गुलाम बने रहो। ये भवन, अध्यापक और सारी सम्पत्ति हमारी है। हमें सरकारी अनुदान तथा मान्यताको स्वीकार नहीं करना चाहिए। यह नई पीढ़ीके लिये गुलामीकी श्रृंखलाओंको तोड़ देनेकी दिशामें पहला पाठ होगा। अमृतसरवासियोंने विधान परिषदोंका त्याग करके एक अच्छा काम किया है। ये विधान परिषदें और कुछ न होकर हमारी स्वतन्त्रताका अपहरण करनेका साधन-मात्र हैं। हम भारत रक्षा अधिनियम और रौलट अधिनियम-जैसे कानूनोंको रद कर सकते हैं। और फिर भरतीमें जो अन्याय बरता गया है उससे आप सब लोग परिचित हैं। पंजाबने उस निश्चयसे कितना कष्ट उठाया है। क्या हम अब भी रंगरूटोंके भरती होनेमें सहयोग दे सकते हैं?

क्या आप अरब आदि देशोंकी स्वतन्त्रताको नहीं बनाये रखना चाहते? आपको राष्ट्रीय सेना बनानी चाहिए और लोगोंको सरकारी सेनामें भरती न होनेकी सलाह देनी चाहिए।

यह कहा जाता है कि यदि लोग सेनामें भरती न होंगे तो वे लुटेरे और डाकू बन जायेंगे। मैं आपसे पूछना चाहूँगा कि क्या आप तलवार छोड़कर हलको हाथमें नहीं थाम सकते? पंजाब भारतकी पराधीनताका [सबसे बड़ा] कारण है क्योंकि वहाँसे