बहुत अधिक लोग सेनामें जाते रहे हैं। पंजाबके भूतपूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर बड़े गर्वसे कहा करते थे कि भारतके अन्य सब प्रान्तोंने कुछ मिलाकर जितने रंगरूट दिये उतने अकेले पंजाबने दिये हैं। अब भी आप लोग अगर सेनामें भरती होना बन्द नहीं करेंगे तो भारतका स्वाधीन होना असम्भव है। आपको स्वदेशी अपनाना चाहिए। महिलाओंको चरखा चलाना चाहिए। आपको यह समझ लेना चाहिए कि अकेले कपड़के कारण ही प्रतिवर्ष करोड़ों रुपया विदेशोंको चला जाता है। अगर आप यह-सब नहीं कर सकते तो हम गुलामीके बन्धनसे मुक्ति नहीं पा सकते।
ट्रिव्यून, २०-१०-१९२०
२०२. अमृतसरमें खालसा कालेजके विद्यार्थियोंसे बातचीत[१]
१८ अक्तूबर, १९२०
मेरे भाई मुहम्मद अलीने 'च्वाइस ऑफ टर्क्स' नामक लेख लिखा था, जो जब्त हो गया। मैं तुमसे आज कहता हूँ कि आज "च्वाइस ऑफ दि बिलीवर्स आफ् इन्डिया[२]" भारतके धर्मनिष्ठ लोगोंके लिए यह निर्णय करनेका समय आ गया है कि वे क्या पसन्द करें। सिख विद्यार्थियोंसे मैं यह पूछने आया हूँ कि तुम हुकूमतके वफादार रहना चाहते हो या गुरु नानकके? जिन अरबोंने हमारा कुछ नहीं बिगाड़ा और जो एक बड़ी स्वतन्त्र जाति है, उसे अधीन बनानेके लिए तुम्हारे सजातियोंको भेजा जाता है। सरकार तुम्हारे ऐरणकी चोरी करके सूईका दान कर रही है। सरदार गौरसिंहपर जो सितम गुजरा, उसके बाद कोई सिख सरकारके पक्षमें तलवार उठा ही कैसे सकता है? जलियाँवालामें बॉसवर्थं स्मिथने जो अत्याचार किये, उनके बाद इस सरकारसे प्रेम कैसे रखा जा सकता है? पंजाबके लिए जितना दुःख मुझे हुआ है, उतना आपको होता हो, तो खालसा कालेजकी ग्रान्ट छुड़वाकर, म्युनिसिपैलिटीसे उसका सम्बन्ध तुड़वाकर तुम उसे सचमुच खालसा [विशुद्ध] बना सकते हो। ऐसा न हो सके, तो उसे छोड़कर तुम स्वयं खालसा बन सकते हो।
नवजीवन, ३१-१०-१९२०