२०७. लाहौरमें कालेजके विद्यार्थियोंसे बातचीत[१]
२० अक्तूबर, १९२०
जिस पंजाबके लिए सारा देश यह लड़ाई लड़ने को तैयार हो गया, क्या वह पंजाब सोता ही रहेगा? तुम कदाचित् खिलाफतको भूल जाओ, परन्तु पंजाबको नहीं भूल सकते। जलियाँवालासे हम बहादुर बने, परन्तु जब पेटके बल रेंगनेका अवसर आया तब कायर बन गये; जलियाँवालासे भारत ऊँचा उठा है, परन्तु पेटके बल रेंगनेसे भारत नीचे गिरा है। विद्यार्थियोंसे यूनियन जैकको सलाम कराना तो इससे भी अधिक कड़वा था। कर्नल जॉन्सनने तुम्हारी नाक काटी और तुमने कटवाई। मेरा सत्याग्रह कभी इज्जत गँवानेको नहीं कहता। पंजाब में मारे गये लड़कोंकी आत्मा यहाँ आकर पुकार रही है कि तुम क्या करना चाहते हो? तुम सर माइकेलको फाँसी पर चढ़ाना चाहते हो, तो तुम्हें भी फाँसीपर चढ़नेके लिए तैयार रहना चाहिए।
जब [ट्रान्सवालमें] बोअर युद्ध हो रहा था, तब स्मट्स[२] और हर्टजोग[३]—जैसे नामी वकील वकालत छोड़कर लड़ाईमें कूद पड़े थे। बोअर स्त्रियाँ लड़कोंको सिखाती थीं कि एक भी शब्द अंग्रेजीका न बोलें। तब यहाँ स्त्री-पुरुष—उदाहरणार्थ पण्डित रामभजदत्त चौधरी और सरलादेवी—एक-दूसरेके साथ अंग्रेजी में पत्र-व्यवहार करते हैं। इसमें मुझे नामर्दी दिखाई देती है। ट्रान्सवालकी स्त्रियाँ तो झाँसीकी रानियाँ थीं। हमारी स्त्रियों में ऐसी बहादुरी कब आयेगी? मैं अंग्रेजी भाषापर मोहित हूँ। 'न्यू टेस्टामेन्ट' पर मैं फिदा हूँ। टॉल्स्टॉय और 'कुरान' को मैंने अंग्रेजीके माध्यम से ही पढ़ा है। परन्तु भारतीयोंके बीच आपसमें अंग्रेजी भाषाका काममें लिया जाना में हरगिज बररदात नहीं कर सकता। मैं तो मानता हूँ कि हिन्दुस्तानका जो पिता अपने पुत्रके साथ, जो पति अपनी पत्नी के साथ अंग्रेजी में पत्र-व्यवहार करता है वह नामर्द है। जब मैं अंग्रेजका समकक्ष हो जाऊँगा, तभी उसकी कोई चीज काममें ले सकूँगा। बोअर लोगोंकी दूसरी कुर्बानी वेरीनिगिंगकी सन्धिके बाद की थी। स्मट्स और बोथाने इंग्लैंड दिये हुए सुधारोंको ठुकरा दिया, सब जगह असहयोग हुआ और वह तभी बन्द हुआ जब लोगोंको वांछित स्वतन्त्रताका संविधान मिला।
- [गुजराती से]
- नवजीवन, ३१-१०-१९२०
- ↑ महादेव देसाई यात्रा-विवरणसे संकलित। यह बातचीत रामभजदत्त चौधरीके घर हुई थी, जहाँ गांधीजी उस समय ठहरे हुए थे।
- ↑ जनरल स्मट्स (१८७०-१९५०); दक्षिण आफ्रिकी राजनीतिज्ञ प्रधानमन्त्री (१९१९-२४ और १९३९-४८)।
- ↑ १८६६-१९४२; दक्षिण आफ्रिकी राष्ट्रवादी नेता और राजनीतिज्ञ; दक्षिण आफ्रिका संघके प्रधान मंत्री १९२४-३९।