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भाषण : डाकोरमें

यह बात सही है या गलत। परन्तु यदि हमारा धर्म———हिन्दुओंका धर्म और मुसलमानोंका धर्म——हमें कुछ सिखाता है, तो पहली चीज वह यह सिखाता है कि हमें अपनी विषय-वासनाको, अपनी इन्द्रियोंको काबूमें रखना चाहिए। सभी धर्म हमें सिखाते हैं कि संसारमें जितनी स्त्रियाँ हैं, वे सब, बड़ी उम्रवाली हमारी माता-समान हैं, बराबरकी उम्रवाली बहनके समान और छोटी पुत्रीके समान हैं। मैंने सुना और माना भी है कि डाकोरमें आनेवाले धर्मके इस पहले नियमका उल्लंघन करते हैं। फिर भी वे मानते हैं कि गोमती में स्नान करके वे पवित्र हो जायेंगे। यह किस कामका? मैं यह भी नहीं मानता कि स्नान करके उनका इरादा पवित्र होनेका होगा। सत्यका पालन, ब्रह्मचर्यका पालन साधारण धर्म है। गृहस्थोंके लिए भी ब्रह्मचर्य-पालन धर्म है। ब्रह्म- चर्यका अर्थ है कान, आँख, नाक, जीभ और त्वचा सभी इन्द्रियोंका संयम। यह धर्म केवल संन्यासियोंके लिए नहीं, सद्गृहस्थोंके लिए भी है। यह सादा नियम जो न पालता हो, वह सद्गृहस्थ ही नहीं। इस संसारमें, हिन्दू समाज और मुस्लिम समाजमें भी, यदि हमें ठीक ढंग से रहना हो, स्वतन्त्र होकर रहना हो, किसीके गुलाम न बनना हो, तो यह हमारा सबसे पहला कर्त्तव्य है।

मुझसे किसीने कहा कि इस जलसे में बहुतसे धाराला[१] भाई होंगे, उन्हें दो शब्द कहिये। उनसे मैं क्या कहूँ? परन्तु इतना तो मुझे उनसे कहना ही चाहिए कि यदि आप धर्मको समझते हों, तो वह धर्म यह नहीं कहता कि आप दूसरोंको लूटें। लूटकर जीनेसे तो आत्महत्या कर लेना अच्छा है। दूसरोंको लूटकर खानेसे भूखों मरना बेहतर है। दूसरोंको लूटकर कपड़े पहनने से नंगी हालत में रहना ज्यादा अच्छा है।

आज मैं सारे भारत से विनती कर रहा हूँ। वह सिर्फ बनिये, ब्राह्मणोंसे नहीं करता, परन्तु भारत में ढेढ़, भंगी, धाराला जो भी हैं—— मुसलमान, ईसाई, पारसी——सबसे मैं विनती कर रहा हूँ कि अगर आपकी इच्छा भारतको सुखी बनाने की हो, तो आपका पहला धर्म यह है कि भिन्न-भिन्न धर्मोके साथ आपको एकदिल होकर रहना चाहिए। यह पड़ोसीका धर्म है। भाई शौकत अलीको काम के सिलसिले में बम्बईसे बाहर न जाना पड़ा होता, तो आप उन्हें हिन्दुओंके इस तीर्थ-स्थानमें मेरे साथ देखते। मैं जहाँ जाता हूँ, वहाँ उन्हें——और अब तो इन दोनों भाइयोंको——अपने साथ ही दौरेपर ले जाता हूँ। मैं सबसे कहता हूँ कि मेरे दो सगे भाई गुजर गये हैं, परन्तु इन दो भाइयोंके प्रति मेरा भाव सगे भाईसे जरा भी कम नहीं है। मैं सनातनी हिन्दू होने का दावा करता हूँ और इन दो मुसलमानोंके साथ भाईचारा रखकर भी अपना हिन्दू धर्म पूरी तरह पाल रहा हूँ। इसमें मेरा स्वार्थ है। यदि मैं हिन्दू होते हुए इस्लाम के लिए मर सकूँ, तो समय आनेपर हिन्दू धर्मके लिए भी मर सकँगा। इसमें मेरी अपनी और देशकी परीक्षा है।

सात करोड़ मुसलमान भाइयोंपर महान् धर्म-संकट आ पड़ा है। एक विकराल हुकूमत उनके धर्मको छिन्न-भिन्न कर देनेपर तुली हुई है। जैसे इस समय आकाशमें चन्द्रमाको ग्रहण लगा हुआ है, वैसे ही इस्लामको इस सल्तनतके ग्रहणने ग्रस लिया है। उसे

  1. गुजरातकी एक जाति।