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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/४४०

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आप मुक्त कराइये। चन्द्रमाका ग्रहण तो स्थूल ग्रहण है। उससे मुक्त होना हमारे हाथमें भी नहीं। मुझे यह चन्द्रग्रहण जरा भी नहीं डराता, मुझसे वह उपवास नहीं करा सकता। परन्तु हमारी आत्माको जो ग्रहण लग गया है, हमारे हृदयको जिस ग्रहणने ग्रस लिया है, उससे मैं काँपता हूँ। उस ग्रहणसे मुक्त होनेका उपाय उपवास हो, तो मैं ईश्वरसे माँगता हूँ कि वह मुझे उपवास करनेकी शक्ति दे। इस ग्रहणसे मुक्त होनेका इलाज आत्महत्या हो, तो परमेश्वर मुझे आत्महत्या करनेकी शक्ति दे। भारतका सुन्दर चन्द्र इंग्लैंडके कलंकसे मलिन है। इसका एक कारण मैं बता चुका हूँ। इस्लामपर हुकूमतकी तलवार लटक रही है। आज वह इस्लामपर लटक रही है, कल हिन्दुओंकी बारी आयेगी। जिस हुकूमतने इस्लामको दगा दिया है, जिस हुकूमतने पंजाबके द्वारा सारे भारतको पेटके बल चलाया है, जिसने पंजाबके जरिये छोटे-बड़े बच्चोंको जबरन् सलामी देनेको मजबूर किया है और ऐसा करते हुए जिस हुकूमतके हाथों छः-सात वर्षके दो बालकोंके प्राण चले गये, जिस हुकूमतके अधीन एक या डेढ़ हजार निर्दोष मनुष्योंकी हत्या हुई है, वह हुकूमत कैसी होगी? हमपर किस हदतक इस हुकूमतका ग्रहण लगा है, इसका मैं अन्दाज नहीं लगा सकता।

मौजूदा शासन रामराज्य नहीं; रावणराज्य है। इस रावणराज्यमें हम पीड़ित हैं और पाखण्ड सीखते हैं। ऐसे रावणराज्यमें हम मुक्ति कैसे प्राप्त कर सकते हैं? क्या पाखण्डियोंके साथ पाखण्डी बनकर? शठके साथ शठतासे मुकाबला करके? पाखण्डमें हम उनकी बराबरी कैसे कर सकेंगे? इस सल्तनतकी चालाकियोंका मुकाबला हम कैसे कर सकेंगे? जिस सल्तनतने छल-कपटमें प्रवीण यूरोपको भी अपने छल-कपटसे मात कर दिया है, उसके सामने यहाँके कूटनीतिज्ञ क्या कर सकते हैं? हिन्दू-मुसलमानोंको पाखण्ड करना हो, तो भी हमारे पास यह पाखण्डकी विद्या नहीं है। रावणको पाखण्डसे मारना हो, तो उसके जैसे दस सिर और बीस भुजाएँ चाहिए, सो कहाँसे लायें? उसे मारनेका काम राम-जैसा पाखण्डी ही कर सकता है। रामके पास क्या पाखण्ड था? उसने ब्रह्मचर्यका पालन किया था; उसे ईश्वरका डर था; उसकी सेना बन्दरोंकी थी। बन्दरोंने कभी हथियार उठाये हैं? आज भी हम दिवाली मनाते हैं, सो रामकी रावणपर विजय मनाते हैं। परन्तु यह विजय हम तभी मना सकते हैं जब हम इस दस नहीं, किन्तु दस हजार सिरोंवाले रावणको छिन्न-भिन्न कर सकें। जबतक हम यह न कर सकें, तबतक हमारे लिए वनवास ही रहेगा। आप सीताजी-जैसी सतियोंपर कुदृष्टि न डालें, तभी इस सल्तनतको मात दे सकेंगे। शैतानको ईश्वर ही मात दे सका है। उसीने शैतानको पैदा किया और वही उसे मार सकता है। इन्सानकी ताकत से वह नहीं हारता। अकेले ईश्वरकी ही गुलामी करनेवाले मनुष्यके हाथसे ईश्वर ही उसे हराता है।

हमें इतनी जबरदस्त हुकूमतसे मुकाबला करना है। उसकी तरफसे आनेवाले दुःखों का रोता मैं नहीं रोना चाहता। मैं तो उलटे भारतसे यह माँगता हूँ कि उसकी बुराई करनेका अधिकार आप लोग मुझ अकेलेको ही दे दें। मैं जब सरकारके साथ सहयोग करता था, तब आपके मुँहसे इस सरकारके बारेमें मैंने अंगारे झरते