से सम्बन्धित अपने झगड़े हम अदालतमें ले जाते हैं? यह पाखण्ड है। वकीलोंको घर बिठाने के लिए हमें उन्हें थोड़ा-बहुत देना पड़ेगा। मेरी और मेरे साथियोंकी दलील सही हो, तो विश्वास रखो तुम्हारे एक पैसेके तुम्हें दो पैसे मिलेंगे। इस रुपयेसे तुम्हारा ही स्वदेशी आन्दोलन, तुम्हारी ही अदालतें चलेंगी। आज देवस्थानोंमें हम जो रुपये देते हैं, वे पाखण्डियोंके हाथों लुट जाते हैं।
यदि तुम्हें सीताजीकी तरह पवित्र बनना हो; मैंने समझाया वैसा अनेक प्रकारका सूक्ष्म मानसिक व्यभिचार छोड़ना हो और अपनी दूसरी बहनोंसे छुड़वाना हो; पाखण्डमें से पवित्र धर्म सीखना हो तो तुम्हें स्वराज्यके इस आन्दोलनमें पूरा भाग लेना चाहिए। पाखण्ड क्या है और धर्म क्या है, इसकी परीक्षा करना तो प्रत्येकको आना ही चाहिए। तुम्हारे पास बहुत-से पाखण्डी भी रुपया माँगने आयेंगे। मैं यह नहीं कहता कि तुम उन सबको दो। जब मुझे विश्वास हो गया कि तुम्हें मुझपर विश्वास है, तभी मैं आज तुम्हारे आगे हाथ पसार रहा हूँ। अपने काम में रुपये के मलिन तत्त्वको शामिल करते हुए मैं काँप रहा हूँ। मेरा इतना तप हो कि रुपयेके बिना काम चला सकूँ, मुझमें इतनी तदबीर हो तो मैं निश्चय ही न माँगूँ। परन्तु वैसा तप या तदबीर मुझमें नहीं है। मैं स्वयं भी कलियुगका ही आदमी हूँ, मुझमें अनेक त्रुटियाँ हैं। परन्तु मुझे विश्वास है कि मैं अपनी त्रुटियाँ दूर करनेका सतत प्रयत्न करता रहता हूँ। इसलिए आपको विश्वास हो तो एक पैसेसे लेकर जितना हो सके, उतना दान दो। इस सारे पैसेके खर्चकी व्यवस्थाका कार्य स्वराज्य सभा करेगी।
अन्तमें आप सब बहनोंसे मेरा अनुरोध है कि आपसे जो दो-चार बातें मैंने कही हैं, उन्हें एक कानसे सुनकर दूसरे कानसे निकाल मत देना। स्वदेशी धर्मके पालन से पोशाकके खर्चसे कुछ रुपये बचेंगे, उनसे अपने बच्चोंको घी-दूध दे सकेंगी। इस समय घी-दूधका रुपया आप ऐश-आराममें खर्च कर डालती हैं। और इस बचतमें से मैं भी थोड़ा-सा माँगता हूँ। तुम्हारी खुशी हो तभी पैसा देना। पैसा न दो, तो भी चरखेका जो धर्म मैंने आपके सामने रखा है, उसे तो स्वीकार कर ही लेना। आज हमें ग्रहणके अशौचका प्रक्षालन करना है। अपने दिलका मैल निकाल देना ही ग्रहणका सच्चा प्रक्षालन है। सब बहनें सच्चे हृदयसे राम-नाम लेंगी, यह प्रार्थना करेंगी कि रावणराज्यके बजाय रामराज्य मिले, तो मैं विश्वास दिलाता हूँ कि राम निर्बलका बल अवश्य बनेंगे। परमेश्वर आप सबके दिलोंका शासक बने और दूसरी तरहकी गुलामीसे आपको छुड़ाये।
नवजीवन, ३-११-१९२०