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२१९. पत्र : रॉबर्टसनको

[२८ अक्तूबर, १९२०][१]

प्रिय श्री रॉबर्टसन[२],

अभी दौरेसे लौटकर मैंने आपका कृपापत्र देखा। आपने जो पत्रिका भेजी है, निस्सन्देह मैं उसे पढ़ेगा और जब मैं दिसम्बरमें अहमदाबाद आऊँगा, तब आपसे बातचीत करनेमें मुझे खुशी होगी।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ७३०८) की फोटो-नकलसे।

 

२२०. पत्र : देवदास गांधीको

आश्रम
[२८ अक्तूबर, १९२०]

चि॰ देवदास,

हम ग्यारह बजे यहाँ पहुँचे। मैंने तुम्हें कल जो पत्र लिखा था, उम्मीद है कि वह तुम्हें मिल गया होगा। तुम्हारी तबीयतकी खबर मथुरादासने दी है। मैं मानता हूँ कि इस सम्बन्धमें वह मुझे नियमित रूपसे लिखता रहेगा। तुम्हारी तबीयतके बारेमें मैं चिन्ता न करनेकी कोशिश कर रहा हूँ।

बलीबेन आ गई है। वापस लौटते समय वह बच्चोंको ले जायेगी। दीपक भी छुट्टियाँ बितानेके लिए लाहौर जा रहा है। श्री एन्ड्र्यूज यहीं हैं। कल जायेंगे। जिनविजयजी[३] भी मेरे साथ आये हैं।

बा राजी-खुशी होगी। सोमवारको सबेरे मैं यहाँसे मेहमदाबाद जाऊँगा और वहाँसे उसी दिन दोपहरको नडियादके लिए रवाना हो जाऊँगा। मंगलवारको नडियादसे चलूँगा और बुधवारको सवेरे वहाँ पहुँचूँगा।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ ७१७२) की फोटो-नकलसे।

  1. गांधीजी २८ अक्तूबर, १९२० को संयुक्त प्रान्त और पंजाबके दौरेसे लौटकर अहमदाबाद पहुँचे थे।
  2. इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, पूना।
  3. जैन विद्वान् व साधु जो उन दिनों गुजरात पुरातत्त्व मन्दिरके कर्मचारी थे।