लेकिन एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण परिवर्तन जनता शराबबन्दी करवाकर कर सकती है। यदि जनता इस कार्यको अपने हाथमें ले तो शराबकी दुकानें बन्द करवाई जा सकती हैं। उस दुकानके मालिकको समझाकर नहीं, क्योंकि मालिकोंको समझाना मैं लगभग असम्भव मानता हूँ, वरन् शराब पीनेवालोंको उसके दुर्गुणोंसे परिचित करवाकर, उनके मनको प्रभावित करना मैं मुश्किल नहीं मानता। चायसे मनुष्यका हाजमा बिगड़ता है, शराबसे आत्म-विनाश होता है। शराबके बाद उन्माद, व्यभिचार और जुआ आदि दुर्गुण आते हैं। शराबसे मन मलिन होता है, हृदय क्रूर बनता है। मेरी दृढ़ मान्यता है कि शराबके व्यसनसे पश्चिमके लोग दुष्ट हो गये हैं। इसी कारण वे दुष्कृत्य करनेमें नहीं हिचकिचाते और पापको पुण्य मानते हैं। इसलिए यदि हम गुजरातमें लोगोंकी शराब पीनेकी बुरी आदत छुड़वा सकें तो यह उन्हें एक तरहकी कैदसे मुक्त करवाने-जैसा होगा। मनुष्यको शराबकी कोई जरूरत नहीं, यह सभी जानते हैं। शराबी संयमका पालन नहीं कर सकता——कौन ऐसा व्यक्ति है जो इस बातसे अनभिज्ञ है? इसलिए मुझे उम्मीद है कि विवेकसे, पशुबलका प्रयोग किये बिना और अच्छी तरह समझा-बुझाकर शराबीको शराबके व्यसनसे मुक्त करवानेका प्रयत्न चालू रहेगा।
निःसन्देह इस कार्यमें कठिनाइयाँ हैं। चाय पीनेवालोंको समझाना सहल था। शराब पीनेवालोंको समझानेका काम ज्यादा मुश्किल है। तथापि जनमतके आगे सब घुटने टेक देते हैं। जनमत के सम्मुख लज्जित होते ही शराबी अपना व्यसन छोड़ देंगे।
नवजीवन, ३१-१०-१९२०
२२५. भाषण : स्त्रियोंकी सभा, अहमदाबादमें
३१ अक्तूबर, १९२०
सारे भारतमें जहाँ-जहाँ मैं घूम रहा हूँ, वहाँ सब जगह स्त्रियोंके दर्शन से कृतार्थ होता हूँ। हर जगह हजारों स्त्रियाँ मुझसे मिलती हैं। आज मैं आपसे एक सुन्दर बात कहूँगा। अमृतसरका नाम तो अब आपमें से किसीके लिए भी अज्ञात नहीं होगा। इस शहरमें हमारे हजारों भाइयोंके खूनकी नदी बही थी और वहाँ जनरल डायरने हजार-पन्द्रह-सौ निर्दोष मनुष्योंको कत्ल या घायल किया था। उसी अमृतसरमें जब मैं कुछ दिन पहले गया, तब एक दिन सुबह साढ़े छः बजे चार बहनें मेरे पास चली आईं। अमृतसरमें तो यहाँसे बहुत ज्यादा ठण्ड होती है। परन्तु उन बहनोंने सोचा कि जो भाई हमारी इतनी सेवा कर रहा है, उसे चेतावनी तो जरूर दे देनी चाहिए। उनमें से एकने मुझसे कहा, "भाई, आप काम तो अच्छा कर रहे हैं। परन्तु आपको पता नहीं कि हमारे पुरुष और किसी हदतक हम स्त्रियाँ भी आपको धोखा दे रही हैं।" मैं तो चौंक पड़ा। मैंने कहा, "मुझे क्यों धोखा देने लगे? इससे उन्हें क्या लाभ