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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होगा?" उसने कहा, 'पुरुष बदमाश हैं, वे आपसे झूठ बोलते हैं। हमने तो समझ ही लिया है कि आपके काम में पवित्र स्त्रियों और पवित्र पुरुषोंकी ही जरूरत है और इसी कारण, इस उद्देश्यसे कि आपकी भावनाएँ हममें पैदा हों, हम स्त्रियाँ आपके पीछे- पीछे फिरती हैं। उस बहनने फिर एक संस्कृत शब्दका प्रयोग किया। पंजाबकी स्त्रीके मुँह से ऐसे संस्कृत शब्दकी आशा नहीं की जा सकती। तुम भी शायद उस शब्दका अर्थ नहीं समझती होगी। उसने कहा कि हमारे पुरुष 'जितेन्द्रिय' नहीं हैं और हम स्त्रियाँ भी जितना आप चाहते और मानते हैं, उतनी 'जितेन्द्रिय' नहीं हैं। मैंने उसका कहना इशारे में समझ लिया। जितेन्द्रिय वह है जिसकी इन्द्रियाँ वशमें हैं अर्थात् जो पुरुष या जो स्त्री कानसे बुरा सुन सकती है, जीभसे बुरा बोल सकती है, उसे जितेन्द्रिय नहीं कहा जा सकता। अभी तो उसका विशेष अर्थ यह है कि जो पुरुष एकपत्नीव्रत नहीं पालता अथवा जो स्त्री पतिव्रत धर्म नहीं पालती, वह जिते- न्द्रिय नहीं। उस बहनने कहा, आप हमसे चाहते हैं कि हम गुस्सेको रोकें, परन्तु जो विषयोंको नहीं रोक सकता वह कोधको कैसे रोक सकता है? और जो क्रोधको नहीं रोक सकता वह कुर्बानी, स्वार्थत्याग कैसे कर सकता है?

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तुलसीदासजी और 'गीताजी' का यह कहना है कि असन्तका संग त्याज्य है। और यह राज्य भी असन्तोंका है, यह अधम राज्य है। इस राज्य की पाठशालाओं में बच्चोंके पढ़नेसे तो उनका न पढ़ना ही बेहतर है। यह डर रखनेका कोई कारण नहीं कि लड़का नहीं पढ़ेगा तो कमाकर कौन खिलायेगा। जिनके लड़के नहीं होते, वे कैसे पेट भरते हैं? पेट भरनेवाला तो परमेश्वर है।

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तुम्हें मोटी रोटी बनानी आती हो और दूसरीको पतली तो तुम अपनी मोटी रोटी खाओगी या उसकी पतली माँगकर खाओगी? मिलका—देशी मिलका भी—कपड़ा पहननेसे स्वदेशी धर्मका पालन नहीं होता। इससे तो उलटे गरीबोंके काम आनेवाला माल महँगा बना दोगी।

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दुःख सहे बिना सुख नहीं। रामने चौदह बरस वनवास भोगा, तब कहीं सीताजीको छुड़ाया; नलने इतने दुःख उठाये, तब वह अमर हुआ; हरिश्चन्द्र, रानी तारामती और रोहितने इतने दुःख बरदाश्त किये, तब उनके सत्यका सूर्य चमका और उसका प्रकाश संसारमें फैला। इसलिए दुःखसे डरकर और मोटी साड़ीसे न शरमाकर अपने हाथ से कातकर बनवाया हुआ कपड़ा काममें लो।

और ईश्वरका नाम भजना भी जरूरी है, परन्तु तोतेकी तरह रामनाम लेनेसे मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता। हृदयमें राम हो, तो दयाधर्म रहे और दयाधर्म दिलमें हो, तो हम ऐसा व्यवहार नहीं करते, जिससे दूसरोंको दुःख हो। मैं कहता हूँ कि यदि तुम हाथसे कते-बुने कपड़े नहीं पहनोगी, तो हजारों स्त्रियोंको नग्न रहना पड़ेगा