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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/४५८

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कहने से यहाँ ठहरा हूँ। उस आदमीने भाषणोंमें भली-बुरी बातें कहकर लोगोंको उकसाया और एक साधु भी उसके साथ हो गया। उसने यह मान लिया कि बकरेको बचानेसे उसे स्वर्ग मिल जायेगा। साधुने इसमें मौलवीको मिला लिया और मौलवीने बकरा मारनेवाले को धमकाकर उसका वध नहीं होने दिया। परन्तु इस घटनासे हिन्दू-मुसलमानों में झगड़ेकी जड़ पड़ गई। हिन्दू मानते हैं कि माताको बकरा चढ़ाया जाये। मेरे-जैसा आदमी मानता है कि न चढ़ाया जाये। चढ़ाना हो तो मेरा शरीर चढ़ाया जाये। परन्तु हिन्दुओंके इस पारस्परिक झगड़ेमें मैं मौलाना शौकत अलीको तो हरगिज बुलाने नहीं जाऊँगा। परन्तु नामर्द हिन्दू तो मौलवीको बुला लाये। मौलवी साहब आ गये और अपनी डोंडी पीटनेवाले मनुष्योंकी सहायतासे उन्होंने बकरा छुड़ा दिया। वह साधु मुझसे मिला। मैंने उससे कहा कि तुम साधुका वेश उतार डालो। मौलवीसे मैंने कहा कि अहमदाबादसे चले जाओ। तुम इस प्रकार देशकी सेवा नहीं कर सकते। जब हम सरकारको भी मारकर राज्य भोगना नहीं चाहते, तो क्या अपने ही भाइयोंको मारकर राज्य भोग सकेंगे? उसका परिणाम क्या होगा? परिणाम तो देखने लायक होता, परन्तु अमदाबादके कलक्टर अच्छे थे; उन्होंने बकरा नहीं मारने दिया। नहीं तो ऐसा होता कि सरकार अपनी पुलिस भेजकर उसीकी मददसे बकरा कटवाती, और फिर हमारा असहयोग निरर्थक हो जाता। मैंने मौलवीको बुलवाकर यह कह दिया। ऐसा पाखण्ड घुस जाये तो हमारी कुछ न चले। मैंने उससे कहा कि तुम अपना क्षेत्र मत छोड़ो, अपना काम न छोड़ो। उसने कहा कि हिन्दुओंने मुझे मजबूर किया। दो सौ नामर्द हमें कैसे मजबूर कर सकते हैं? और अगर कर सकते हैं तो एक गोरा क्या नहीं कर सकता? और हुआ भी यही। कलक्टरने मौलवीको बुलाया, तो वह डर गया और उसने मजदूरोंसे मदद माँगी ताकि उनके फसादके डरसे सरकार उसका कुछ न करे। जो जेल जानेकी इच्छा करता है उसे [लोगोंको] हिंसा न करनेकी बात सिखानी चाहिए।

मेरे या मौलाना शौकत अलीके पकड़े जानेपर आप दंगा करेंगे, मकान जलायेंगे, रेलकी पटरियाँ उखाड़ेंगे तो बाजी हार जायेंगे। आप अरब नहीं हैं, इसलिए आपसे ऐसा कहता हूँ। आपको तो लकड़ी मारना भी नहीं आता। गधेके लाठी जमा दी और स्त्रीको लकड़ी मार दी, तो यह लकड़ी मारना आना नहीं कहलाता। जिसे लकड़ी मारना आता है, वह तो हजारोंके सामने लड़ सकता है। परन्तु आप ऐसे नहीं हैं, इसलिए आपको ऐसी सलाह दी जा सकती है।

हम सिंहवृत्ति भूलकर भेड़ बन गये हैं। हम आयरलैंड या मिस्रके उदाहरण लेकर वैसे बनने लगेंगे, तो दोजखमें पड़ेंगे। जब सरकार अपना तेज दिखायेगी——और यह बेजा नहीं, क्योंकि मैं भी सरकार होऊँ तो लोगोंको पकडूँ। जिसे हुकूमत करनी है, वह अपने विरोधियोंको पकड़ेगा ही, यह उसका धर्म है। इसलिए जब सरकार अपना तेज दिखायेगी——तब आप फसाद करेंगे तो हार जायेंगे। आप उसे इस तरह डराने लगेंगे तो आप डरपोक हैं। हिन्दुस्तानको छुड़ाना है तो हमें सिंह बनना होगा।

आप छः हजार मनुष्य इस समय खतरे में हैं। और आप इस म्युनिसिपैलिटीका क्या करेंगे? यह तो सरकारने आपके यहाँ हाथी बाँध दिया। छः हजार आदमियोंकी