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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


हम आज स्वराज्य माँगते हैं तो हमें आजसे ही सारा कारोबार खुद ही चलानेके लिए तैयार रहना चाहिए। आप करदाताओंको यह-सब समझा सकते हैं और अगर वे सरकारको कर देनेसे इनकार न करें तो आप जिस प्रकार सरकारसे असहयोग करते हैं उसी प्रकार उनसे भी कर सकते हैं। आप उनसे कह सकते हैं कि अब आप अपना कोई काम हमसे नहीं करवा सकते। नेताओंका कार्य तो जनताका नेतृत्व करना है, उसके नेतृत्वमें चलना नहीं। और फिर आपको लोगोंको स्पष्ट रूपसे समझा देना चाहिए कि सरकारको कर न देनेसे हम पैसा देनेके दायित्व से मुक्त नहीं हो जाते; अपना काम-काज चलानेके लिए आपको पैसा देना ही होगा। लेकिन सरकारको दस रुपये देकर बदले में जैसे केवल एक रुपयेकी प्राप्ति होती है वैसी बात इसमें नहीं होती। यहाँ तो आप एक पैसा देंगे तो उसके एवजमें दो पैसे मिलेंगे। लेकिन पैसे तो आपको देने ही होंगे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १०-११-१९२०

 

२३१. भाषण : नडियादमें

१ नवम्बर, १९२०

ऐसी भारी लड़ाईमें जब कि तमाम कौमोंको एकदिल होनेकी जरूरत है, तब किसी गैर-जिम्मेदार अथवा पाखण्डी मनुष्यके भला-बुरा बोलने से हिन्दू-हिन्दू या मुसलमान-मुमलमानमें झगड़ा पैदा हो, ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके लिए मुझे आशा है कि स्वराज्य सभा तथा खिलाफत कमेटीकी तरफसे नोटिस निकलेगा कि उनके प्रमाणपत्रके बिना कोई न बोले। कोई भी आदमी बोलने आये, तो उसे सुननेका आपको अधिकार है; परन्तु आपको पता तो चल जायेगा कि यह किसी संस्थाका प्रतिनिधि नहीं है। जिस हुकूमतसे हमें लड़ना है, उसका बन्दोबस्त जबरदस्त है। उनमें से कोई आदमी अफसरके हुक्मके बिना न बोलता है, न काम करता है। हममें भी यह शक्ति आनी चाहिए।

हम स्वतन्त्र होना चाहते हों तो हिन्दू-मुसलमानोंमें एकता और साफदिली होनी चाहिए। कोई मुसलमान गफलतसे कुछ बोल दे तो हिन्दुओंको उसे बरदाश्त कर लेना चाहिए। इसी प्रकार कोई हिन्दू कुछ कह दे तो मुसलमानोंको सहन कर लेना चाहिए।

मुझे पकड़ लें, मौलाना शौकत अलीको पकड़ लें, मौलाना अब्दुल बारीको पकड़ लें, तो आपको चुपचाप काम करना है। आप हड़ताल भी नहीं कर सकते। ऐसा करेंगे, तो हम हारे हुए माने जायेंगे। आप हमें वापस क्यों लाना चाहेंगे? जफर अली पकड़े गये, तो मैंने उनसे कहा: "हम आपके लिए अर्जी नहीं देंगे, परन्तु स्वराज्य लेकर आपको छुड़वायेंगे।" आप हम-जैसोंको छुड़वाना चाहते हों तो असहयोगके चार कदम