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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रसन्न हुआ कि अधिकांश महिलाओंने तो उसी समय विदेशी वस्त्र छोड़ देनेका निश्चय कर लिया। अब इन महिलाओंने सरलादेवीपर एक ऐसी दुकान खोलनेका भार डाल दिया है जहाँसे वे स्वदेशी चीजें खरीद सकें। उसके बादसे वे और भी बहुत-सी सभाओंमें बोल चुकी हैं। वे सियालकोटमें जिला कान्फ्रेंसमें बोलीं और विशेष रूपसे महिलाओंके लिए ही आयोजित एक सभामें बोलीं, जिसमें हजारसे ऊपर स्त्रियाँ उपस्थित थीं। आशा है, पंजाबके पुरुष भी सरलादेवी द्वारा स्वेच्छासे लिये गये इस व्रतको पूरा करने में सहायता देंगे। उनकी प्रतिभा और उनकी इस तत्परताका उपयोग वे स्वदेशी सभा स्थापित करने और एक ठोस आधारपर स्वदेशीका प्रचार करनेके लिए कर सकते हैं। इस कामको सफल बनानेके लिए आदमियोंकी भी जरूरत है और पैसेकी भी।

स्वदेशी सुधारोंसे बढ़कर है। सुधारोंमें बहुत अधिक समय और शक्तिका अपव्यय होता है। लेकिन स्वदेशीमें ऐसी बात नहीं है। एक-एक गज सूत कातनेका मतलब है उस हदतक श्रमका सदुपयोग और राष्ट्रीय सम्पत्तिकी उतनी वृद्धि। यहाँ एक-एक बूँदका महत्त्व है। स्वदेशीका मतलब है पहले उत्पादन और फिर वितरण। उत्पादनसे पूर्व वितरणका मतलब है बिना किसी आनुपातिक लाभके मूल्यमें वृद्धि, क्योंकि आज पूर्तिक मुकाबले माँग अधिक है। अगर हम कपड़ेका अधिक उत्पादन नहीं करते तो विदेशी वस्त्रोंके आयातका सिलसिला एक दुःखदायी और पापपूर्ण आवश्यकता बनकर जारी ही रहेगा।

पंजाबको एक महान् अवसर प्राप्त हुआ है। वह बहुत अच्छी रुई उपजाता है। कताईकी कला अभी वहाँ बिलकूल मर नहीं गई है। लगभग हर पंजाबी स्त्री यह कला जानती है। प्राचीन समृद्धिके इस आगारमें अब भी हजारों बुनकर निवास करते हैं। आवश्यकता सिर्फ इस बातकी है कि नेताओंको यहाँकी महिलाओंकी क्षमतामें और अपने-आप में विश्वास हो। जब सरलादेवीने मुझे यह लिखा कि हो सकता है, उन्हें बम्बई से माल मँगानेकी जरूरत पड़े तो मुझे बड़ा दुःख हुआ। पंजाबके पास अपना कपड़ा स्वयं तैयार करनेके लिए काफी समय, श्रम तथा आवश्यक सामग्री मौजूद है। वहाँ बहुत ही साहसी व्यापारी रहते हैं। उसके पास जरूरतसे ज्यादा पूँजी है। उसके पास बुद्धिकी भी कमी नहीं है। लेकिन क्या इसमें यह सब करनेकी इच्छा है? वह एक वर्षसे भी कम समय में अपने यहाँ स्वदेशीका संगठन कर सकता है, बशर्ते कि उसके नेता इस महान् उद्देश्य के लिए कार्य करें। अगर पंजाब अपने लिए बम्बईसे कपड़े मँगाता है तो यह स्वदेशीके साथ खिलवाड़ करना होगा।

पंजाबका यह कर्तव्य है कि वह स्वदेशीको एक समुचित आधारपर स्थापित करके और बॉसवर्थ स्मिथ[१]ऐंड कम्पनीसे[२]मुक्ति पाकर अपनी गलतीको सुधारे। तभी वह आर्थिक और राजनीतिक, दोनों दृष्टियोंसे मजबुत बन सकता है। भौगोलिक दृष्टिसे उसका स्थान सभी प्रान्तोंसे ऊँचा है। पुराने जमानेमें उसने देशका पथ-प्रदर्शन किया है।

  1. संयुक्त जिला-अधिकारी, अम्बाला; अत्याचारोंके लिए प्रसिद्ध मार्शल लॉ अधिकारियोंमें से एक।
  2. अन्य मार्शल लॉ अधिकारी।