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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कपड़ा छोड़कर हम मिलोंके कपड़ेका उपयोग शुरू कर देंगे तो इसका अर्थ गरीबोंके लिए कपड़ा ज्यादा महँगा कर देना होगा। इसलिए हमें अपने ही घरोंमें बहनोंके हाथों का सूतका और बुनकरों द्वारा बुने गये कपड़े ही पहनने चाहिए। मैं आपसे विश्वासपूर्वक कहता हूँ कि मैं जो खादी पहनता हूँ उससे अधिक पवित्र और सुन्दर कोई दूसरा कपड़ा नहीं है।

मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि वह आपको इस गंगाके[१]पवित्र स्थानमें भारतको स्वतंत्र करने, मुसलमान भाइयोंके घाव भरने, पंजाबका न्याय प्राप्त करनेके लिए सर्वस्व बलिदान करनेकी पवित्र प्रतिज्ञा करनेका बल दे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १०-११-१९२०

 

२४२. पत्र : गुरुकुलके अध्यापकों और विद्यार्थियोंको

पुना
शुक्रवार [५ नवम्बर, १९२०][२]

गुरुकुलके अध्यापक और बालक,

आपका पत्र मिला है। गुरुकुलने मेरे बालकोंको प्रेमपाशमें बद्ध कर दिये थे यह बात में कैसे भूल सकता हूँ। आपको मैं क्या संदेश भेजू? परन्तु यदि कुछ कहना चाहिए तो इतना हि कहना चाहता हूँ कि क्या आप आधुनिक समयका यज्ञ कर स्तेयके पापमें से बचते हो? आप सूत्रचक्र चलाकर हिन्दुस्तानके भूखसे दुःखित लोगोका खयाल प्रतिदिन करते हो? क्या आपने अनुभव कर लिया है कि इस समय इस छोटासा चक्रका चलाना महायज्ञ है।

नेहाभिक्रमनाशोस्तीति।[३]

मोहनदास गांधीके आशीर्वाद

एस॰ एन॰ ७४१९ की फोटो-नकलसे।

 
  1. गोदावरी; जिसे दक्षिण गंगा माना जाता है।
  2. गांधीजी ५ नवम्बर, १९२० को पूनामें थे।
  3. देखिए भगवद्गीता, २–४० ।