उन्हें वापस लौटना पड़ेगा। मुसलमानोंको इसका अनुभव हो गया है। राष्ट्रीय अन्याय दूर कराने के लिए सबको एक होना ही पड़ेगा।
मैंने सुना हैं कि सरकार हमें पकड़ना चाहती है। यदि सरकार हमें पकड़ना चाहती हो, तो इसके लिए हमहुकूमतको नहीं दे सकते। हम इस हुकूमतको उखाड़ना चाहते हैं। इस हुकूमतको हमें कैद करनेका हक है किन्तु आपको हड़ताल करनेका हक नहीं। आप ऐसा करेंगे, तो उसका अर्थ यह होगा कि आप जेल जाना नहीं चाहते। यदि आपमें से कोई पागल बनेगा, मकान जलायेगा, किसी अंग्रेजकी हत्या करेगा, तो आप मात खायेंगे। हम मिस्र नहीं, रूस नहीं, आयरलैंड नहीं हैं। हमारी लड़ाई शस्त्रोंकी नहीं है। असहयोग ही हमारा हथियार है। सरकार यह मानती है कि वह हमें पकड़ लेगी, तो आप सब डरकर बैठ रहेंगे। आप सरकारको दिखा सकते हैं कि वह इस तरह बनियाई हिसाब लगाती है, परन्तु हमें पकड़नेके बाद ऐसा नहीं हो सकता। मेरा असहयोगका काम आप आसानीसे उठाकर हमें मुक्त कर सकेंगे। स्वराज्यकी मुहर प्राप्त करके आप हम तीनोंको छुड़वा सकेंगे। हमें छुड़ाना आपके हाथमें होना चाहिए। मैं उनके हाथों नहीं छूटना चाहता, आपके ही हाथसे छूटना चाहता हूँ। परन्तु आपके भी खून से सने हुए हाथोंसे में छूटना नहीं चाहता। मेरे पकड़े जानेसे किसीका खून होगा, तो यह समझ लीजिये कि तत्काल मेरा भी खून गिरेगा। मैं खुदासे प्रार्थना करूँगा कि वह मुझे कोई ऐसी ताकत दें, जिससे मैं आपके कृत्योंकी ज्वालामें भस्म हो जाऊँ। मैं विश्वास रखता हूँ कि मेरी जाति मुझे धोखा नहीं देगी। परन्तु यदि धोखा देती है, तो मैं चाहूँगा कि मर जाऊँ।
- [गुजराती से]
- नवजीवन, १४–११–१९२०
२४५. भाषण : स्त्रियोंकी सभा, पूनामे[१]
६ नवम्बर, १९२०
मैं जानता हूँ, हिन्दू, मुसलमान, पारसी और दूसरी सभी जातियोंका धर्म स्त्रियोंके ही हाथों में है। जिस दिन स्त्रियाँ धर्म छोड़ देंगी, उस दिन हमारा धर्म नष्ट हो जायेगा। हमारे शास्त्रों में कहा है कि जहाँ राजा और स्त्रियाँ धर्म छोड़ देती हैं, वहाँ देश नष्ट हो जाता है। हमारे यहाँकी स्त्रियोंने धर्म बिलकुल नहीं छोड़ा, परन्तु राजाने तो छोड़ दिया है। हमारे यहाँ जो राज्य चल रहा है, वह रावण राज्य-जैसा है—वह राक्षसी राज्य-जैसा है।
- ↑ महादेव देसाई के यात्रा-विवरणसे संकलित।