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२४७. १६ नवम्बरको क्या करें?

१६ नवम्बर एक तरहसे जनताके लिए परीक्षाका दिन है क्योंकि उस दिन पूरे बम्बई अहातेमें विधान परिषदके लिए सदस्य चुने जायेंगे। उस दिन मतदाता क्या करेंगे, उनका कर्त्तव्य क्या है?

१. मैं तो यह आशा करता हूँ कि कोई मतदाता अपना मत देने चुनाव-केन्द्र-पर नहीं जायेगा।

२. सभी मतदाता अपने घर बैठे रहेंगे।

३. यदि चुनाव-केन्द्रसे कहीं दूर मतदाताओंकी कोई सभा की जाये तो मतदाता उसमें शरीक होंगे और वहाँ अपना यह मत प्रकट करेंगे कि यह सभा किसीको भी अपने प्रतिनिधिके रूपमें नहीं भेजना चाहती।

४. मतदाताओंके हस्ताक्षर लेने और उनसे मत न देनेको कहनेका काम १५ की रातसे २४ घंटे के लिए बन्द कर दिया जायेगा।

५. स्वयंसेवक भी १६वीं तारीखसे मतदाताओंको [मत न देनेके लिए] समझानेका काम नहीं करेंगे।

६. संक्षेपमें इसका यह अर्थ हुआ कि उस दिन जो लोग मत देना चाहते हैं उनके साथ कोई रोकटोक नहीं होनी चाहिए।

यदि मतदाताओंको हम १५वीं तारीखतक अपनी बात न समझा सके हों तो १६ वीं को फिर क्या समझाना? निश्चय ही हम किसीको भी मत देनेसे बलात् रोकना नहीं चाहते। इसलिए १६वींको कोई आग्रह नहीं किया जायेगा।

हमारा आन्दोलन तो जनमतको प्रशिक्षित करनेका है। उसमें सफलता होनेपर ही स्वराज्य सहज और सुलभ होगा।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ७-११-१९२०

 

२४८. यदि मैं गिरफ्तार हो जाऊँ?

७ नवम्बर, १९२०

मैं बराबर यह सोचता रहा हूँ कि यदि मैं गिरफ्तार हो गया तो लोग क्या करेंगे। मेरे सहयोगी भी मुझसे यह प्रश्न करते रहे हैं। यदि लोगोंने प्रेमके पागलपनमें गलत रास्ता पकड़ लिया तो भारतकी क्या दशा होगी? ऐसेमें मेरी अपनी क्या दशा होगी? सरकार खूनकी नदियाँ बहा दे, मुझे इसका भय नहीं होगा; परन्तु यदि लोग मेरे लिए या मेरे नामपर सरकारको गाली भी दें, तो उससे मुझे बहुत आघात पहुँ- चेगा। यदि जनता मेरी गिरफ्तारीपर अपना सन्तुलन खो बैठी तो वह मेरे लिए

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