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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/४९८

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होनेपर भी हम अपने गुस्सेको रोकें। गालीका जवाब गालीसे न दें, मारपीटके बदले मारपीट न करें, इसमें भी असहकार करके हम अनेक विघ्नोंसे बच सकते हैं। जहाँ हमसे सहन न हो सके वहाँ हमें जाना ही नहीं चाहिए। मैंने सुना है कि श्रीमती बेसेंट का इलाहाबादमें अपमान किया गया, बम्बईमें भी यही बात हुई। यदि श्रीमती बेसेंटके विचार हमें रुचिकर न लगे, उनपर हमें क्रोध भी आये तो हम उनकी सभामें शामिल न हों, यह सभ्यता है। सभामें जाकर 'शर्म-शर्म' अथवा दूसरी तरहकी तिरस्कार-सूचक आवाजें कसना असभ्यता है। असभ्य जनतासे शुद्ध स्वराज्यकी उपलब्धि तो नहीं हो सकती। असभ्यता और अहिंसा अर्थात् निःशस्त्रता ये दो विरोधी चीजें हैं। असहकारकी सेनामें असत्यको, असभ्यताको, उद्धतताको बिलकुल अवकाश नहीं है। इस बातको यदि हम अच्छी तरह ध्यानमें न रखेंगे तो जीती हुई बाजी हार बैठेंगे। असहकारकी लड़ाई अपने क्रोधको अभिव्यक्त करनेकी नहीं बल्कि अपने क्रोधको पीकर उससे प्रचंड शक्ति पैदा करनेकी है, जिसके सामने कोई टिक ही न सके।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ७-११-१९२०
 

२५०. जनतासे अनुरोध

असहयोग आन्दोलन अपने पूरे जोरपर है। इसपर जनताकी प्रतिक्रिया भी कम-ज्यादा ठीक ही हो रही है। विद्यार्थी पाठशालाएँ खाली करते जा रहे हैं। बहुत-से लोगोंने विधान परिषदोंमें जानेका इरादा छोड़ दिया है। किसी-किसी वकीलने वकालत छोड़ दी है। स्वदेशीका प्रचार जारी है।

लेकिन आन्दोलनको लोगोंके उत्साहकी तरह पैसोंकी भी जरूरत है। पैसा इस समय मुख्य रूप से शिक्षा-प्रचारके लिए चाहिए। पैसेके बिना शिक्षाका प्रबन्ध मुझे असम्भव दीख पड़ता है। लेकिन यदि हम पैसा इकट्ठा कर सकें तो विद्यार्थियोंके शिक्षणके रूपमें हमें उसका पर्याप्त लाभ मिलेगा।

इसके बाद भी हमें अन्य अनेक कार्य करने हैं जिनके लिए पैसेकी जरूरत है।

अबतक के अनुमानके अनुसार हमें पाँच लाख रुपयोंकी जरूरत है। यदि हमारे पास खर्च करनेके लिए इतनी रकम हो तो हम शिक्षाका कार्य बहुत सुचारु ढंगसे चला सकेंगे। अपने आपको राष्ट्रीय स्कूलोंमें परिवर्तित करनेवाले स्कूलोंको हम उनकी आवश्यकतानुसार मदद कर सकेंगे और विद्यापीठके कार्यको अच्छी तरह निभा सकेंगे। विद्यापीठको सफल बनानेके लिए हमें ठीक-ठीक खर्च करना होगा। खर्चके हिसाब- किताबको समय-समयपर प्रकाशित किया जायेगा। शिक्षाके क्षेत्रमें, पहले साल तीन-चार लाख रुपया खर्च होनेका अनुमान है, और शेष एक लाख रुपया अन्य विविध बातोंपर खर्च किया जायेगा।