मुझे उम्मीद है कि जो लोग किसी और तरहसे इस आन्दोलनमें भाग नहीं ले सकते वे भी कमसे-कम इतना तो करेंगे ही कि स्वयं कुछ दान दें और कुछ अन्य लोगों से दिलायें।
मुझे आशा है कि जो असहयोगकी सारी योजनासे सहमत नहीं हैं वे भी राष्ट्रीय शिक्षणको तो अवश्य प्रोत्साहन देंगे।
ये दिवाली के दिन हैं। दिवाली राक्षसी राज्यका अन्त और रामराज्यकी स्थापनाकी सूचक है। मेरी नम्र राय है कि जबतक हमारा देश गुलाम है तबतक हम आनन्दके साथ दिवाली नहीं मना सकते। दिवाली मनानेका सबसे अच्छा ढंग यह है कि हम ये दिन ऐसे कार्योंमें व्यतीत करें जिनसे मुसलमान भाइयोंका आत्मसम्मान बना रहे, पंजाबके घावको भरा जा सके और जल्दीसे-जल्दी स्वराज्य प्राप्त कर सकें।
यदि आप लोग मेरी सलाह मानें तो दिवालीपर खर्च होनेवाले पैसोंमें से कुछ रकम बचा लें। इससे भी आन्दोलनको बहुत मदद मिलेगी। मुझे आशा है कि प्रत्येक स्त्री-पुरुष इस पुण्य कार्यमें भाग लेगा। इसका यह अर्थ नहीं समझना चाहिए कि सिर्फ अमीर लोगोंको ही दान करना है। मैं यह चाहता हूँ कि अमीर और गरीब दोनों ही अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करें। इस कामके लिए यदि हमें ईमानदार कार्यकर्त्ता मिल जायें तो हमें जितनी रकमकी आवश्यकता है उतनी रकम अवश्य इकट्ठी कर सकेंगे।
मुझे उम्मीद है कि कोई भी व्यक्ति ऐसे मनुष्यको पैसा नहीं देगा जिसे वह स्वयं न पहचानता हो।
सारी रकम स्वराज्य सभाकी बम्बई शाखामें जमा होगी।
नवजीवन, ७-११-१९२०
२५१. भाषण : सताराकी सभायें[१]
७ नवम्बर, १९२०
आप ब्राह्मणोंको पूज्य न मानते हों तो भी उनकी तपस्या, ज्ञान, यज्ञ और पवित्रताके कारण उनकी पूजा करनी पड़ेगी। जिन ब्राह्मणोंने उपनिषद् वगैरह ग्रन्थ रचे हैं, उनकी भूलें बताते हुए मैं डरता जरूर हूँ, फिर भी मैंने यह कहा है और कहता हूँ कि उन ब्राह्मणोंने अस्पृश्यताकी अनुमति देकर कुछ-न-कुछ शैतानका ही काम किया है। ब्राह्मणोंके मकान जलाकर, उन्हें गालियाँ देकर आप अपने धर्मका बचाव नहीं कर सकेंगे। आप हिन्दू होनेका दावा करते हैं किन्तु आप हिन्दू धर्मके विरुद्ध आचरण कर रहे हैं। आप हिन्दू न हों तो मैं आपसे कहता हूँ कि आपका एक और धर्म हो गया। आपको अपना
- ↑ महादेव देसाई यात्रा-विवरणसे संकलित।