अहिन्दूपन मुबारक हो। जैसे मैं जैनियोंसे कहूँगा कि आप अहिन्दू हों तो भले ही हों, परन्तु आप भारतको अपना देश मानते हों, तो आपका और एक धर्म हो जाता है——स्वराज्य-धर्म। यह स्वराज्य-धर्म आपको सिखाता है कि आप स्वराज्य चाहते हों, तो हिन्दुओंके साथ मेल कीजिये। तिलक, गोखले, रानडे[१], आगरकर[२]कौन थे? ब्राह्मण होनेपर भी उन्होंने अब्राह्मणोंके लिए बड़ी-बड़ी तपस्याएँ कीं। तिलक महाराजकी मेरे-जैसे ब्राह्मणपर बहुत अधिक प्रीति थी। जिस जातिमें रामदास, तुलसीदास, रानडे, तिलक आदि जन्मे हैं उससे घृणा करके आपका उद्धार होना असम्भव है। आप अंग्रेजी हुकूमतसे सहायता मांगकर और भी अधिक गहरी गुलामीमें डूबेंगे। आप शौकत अलीसे पूछ लीजिये कि उन्होंने सरकारसे प्रेम करके क्या पाया?
आप ब्राह्मणोंसे असहयोग करनेकी बात करते हैं, परन्तु असहयोगका पवित्र नाम लेनेके लिए पवित्रता चाहिए। मैं अंग्रेजी राज्यको शैतानी राज्य कहता हूँ। परन्तु ऐसा मैं इसलिए कह सकता हूँ क्यों कि मुझे किसी अंग्रेजसे द्वेष नहीं। लॉर्ड चेम्सफोर्ड, जिनके साथ आज मैं किसी भी प्रकारका सहयोग नहीं करूँगा और उनका पानीतक नहीं लूँगा, यदि बीमार पड़ जायें, तो जैसे मैं आपकी सेवा करता हूँ, वैसे ही उनकी भी अवश्य करूँगा। आप ब्राह्मणोंसे न्याय चाहते हों, तो आप उनके जैसी तपस्या कीजिये। आप तलवार उठायेंगे, तो आप ही मरेंगे। मुसलमानोंसे भी मैं यही कह रहा हूँ। इस्लामको वे तलवारसे स्वतन्त्र नहीं कर सकेंगे। मैं यह मानता हूँ कि तलवार उन्हें ज्यादा खतरेमें डाल देगी। अब्राह्मणोंसे मैं कहता हूँ कि आप एक बार हिन्दुस्तानको आजाद कर लीजिये और फिर ब्राह्मणोंका गला काटना हो, तो काट लेना। हिन्दुओंसे भी यही कहता हूँ कि पहले स्वराज्य प्राप्त कर लो फिर मुसलमानोंसे लड़ना हो तो लड़ लेना। इसी प्रकार मुसलमानोंसे कहता हूँ। आज तो यह सल्तनत तुम्हारी तीस करोड़ आबादीका अपमान कर रही है, उनपर अत्याचार कर रही है, उसे रोकने के लिए हुकूमतसे असहयोग और आपसमें सहयोगके सिवा और कोई उपाय नहीं।
नवजीवन, १४-११-१९२०