चूँकि उन्हें सत्ता और धन-संपत्तिके रूपमें बहुत-कुछ खोनेका भय होता है, इसलिए उसकी रक्षाके लिए वे खुशी-खुशी अन्यायके साधन बन जाते हैं, और इस तरह सम्राट्के राज्यकी सरकारके अन्यायोंकी नग्नता स्वयं उसके प्रत्यक्ष कार्योंमें उतनी स्पष्ट परिलक्षित नहीं होती जितनी कि देशी रियासतोंके कृत्योंमें। इसलिए देशी रियासतोंकी प्रजाको और उनके अस्थायी संरक्षणमें रहनेवाले लोगोंको दोहरी क्षति उठानी पड़ती है। परन्तु यहाँ मैं ब्रिटिश अधिसत्ताकी अधीनतामें देशी रियासतोंकी जो दशा है उसका निदान नहीं करना चाहता।
मेरा उद्देश्य इस कठिन परिस्थितिसे निकलनेका एक आसान रास्ता बताना है। कहा जाता है कि उस कॉलेजके प्रधानाचार्यने इस असाधारण आदेशके विरोधमें अपना त्यागपत्र दे दिया है। वे उन लोगोंकी बधाईके पात्र हैं जो ब्रिटिश साम्राज्य में शुद्धता और न्याय देखनेको इच्छुक हैं। परन्तु क्या काठियावाड़ी विद्यार्थियोंका रियासतके प्रति तथा अपने साथियोंके प्रति कोई कर्त्तव्य नहीं है? मेरी रायमें उन विद्यार्थियोंको चाहिए कि विनयपूर्वक अपना विरोध प्रकट करने के बाद वे सामूहिक रूपसे कॉलेज छोड़ दें। यदि ये विद्यार्थी कॉलेजका परित्याग करके अपने साथी विद्यार्थियोंके प्रति सहानुभूति प्रकट करनेकी मर्दानगी नहीं दिखाते तो इसका मतलब अपनी निःशुल्क शिक्षाके लिए जरूरतसे ज्यादा बड़ी कीमत चुकाना होगा। सम्भव है कि नवाब साहब तब भी न चेतें। लेकिन इससे विद्यार्थियोंको कोई सरोकार नहीं होना चाहिए। कॉलेज छोड़नेके साथ ही उनका कर्त्तव्य पूरा हो जायेगा।
निष्कासित विद्यार्थियोंसे मैं यह कहूँगाः साहस मत छोड़िए। जिस कॉलेजके स्वामीने आप लोगोंका ऐसा अपमान किया है उस कॉलेजमें पुन: प्रवेश पानेके लिए अनुनय-विनय न करें। जो थोड़ी-सी मुआवजेकी रकम तथा यात्रा-व्यय नवाब साहबने आप लोगोंको दिया है, वह भी आप वापस कर दे सकते हैं। ऐसा कोई भी मुआवजा स्वीकार करनेका अर्थ होगा अन्याय के साथ समझौता करना। आप लोगोंके लिए जो शिक्षा पाना जरूरी है, वह शिक्षा आप बिना कॉलेज गये सिन्धमें ही प्राप्त कर सकते हैं। हमारे स्कूलों व कॉलेजोंमें जो शिक्षा दी जा रही है, उसके प्रति हममें अतिशय अन्धभक्ति है। पढ़ना-लिखना सीखनेके पहले हमें मनुष्य बनना सीखना चाहिए। प्रकृतिने मनष्यको अपनी प्रगतिके मार्गमें आनेवाली समस्त बाधाओंपर——चाहे वे उसकी पढ़ाई-लिखाईकी प्रगतिके मार्गमें आयें या किसी और तरहकी प्रगतिके मार्ग में——विजय प्राप्त करनेकी क्षमतासे युक्त कर रखा है।
यंग इंडिया, ७-७-१९२०