१५. भाषण : महिलाओंकी सभा, बम्बईमें[१]
७ जुलाई, १९२०
श्री मो॰ क॰ गांधीने सभामें उपस्थित लोगोंसे अनुरोध किया कि वे पंजाबके अत्याचारोंके सम्बन्धमें कांग्रेस समितिको रिपोर्ट[२]ध्यानसे पढ़ें। इसी रिपोर्टमें, जो पहली बार प्रकाशमें आई है, ऐसी कुछ घटनाओंकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बम्बईकी महिलाएँ शायद सोचें कि वह क्या चीज है जो मैं समझानेकी कोशिश कर रहा हूँ, क्योंकि वे कह सकती हैं कि यहाँ बम्बईमें तो वे पूरी आजादीके साथ जहाँ चाहें आ-जा सकती हैं; जो चाहें कर सकती हैं। लेकिन जो ऐसा कहती हैं वे भूल जाती हैं कि जो-कुछ पंजाबमें हुआ है, समान परिस्थितियोंमें बम्बईमें भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त आप सबका कर्त्तव्य केवल अपनी स्थिति सुरक्षित बनाये रखना ही तो नहीं है। आपको इस सम्बन्धमें व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और अन्य प्रान्तोंके लोगोंकी सुरक्षाका भी प्रबन्ध करना चाहिए। अपने पंजाबी भाइयों और बहनोंके प्रति किये गये अन्यायोंको आप अपने प्रति किये गये अन्याय मानिए और आपका यह कर्तव्य है कि आप अपनी समस्त शक्तिसे इन अन्यायोंका विरोध करें, ताकि पंजाबकी बर्बरताको न तो पंजाबमें दुहराया जा सके और न भारतके किसी अन्य प्रान्तमें। आपको भारतको श्रेष्ठ सभ्यतापर जो गर्व है, उसे अगर आप कायम रखना चाहती हों तो आपको दुनियाको यह दिखा देना है कि भारतकी स्त्री-जातिका आत्मबल पंजाबमें बर्बरता करनेवाले अधिकारियोंकी ताकतसे बढ़कर है। आप सबको अपने पतियों, भाइयों और लड़कोंके कंधेसे-कंधा मिलाकर खड़े होना चाहिए और उनसे पंजाबके इन अन्यायोंका निराकरण करानेका आग्रह करना चाहिए।
बॉम्बे क्रॉनिकल, ८-७-१९२०