अल्पसंख्यामें उपस्थित उसके अनुयायियोंपर स्पष्ट ही उसका असर होता है और सो भी बिजलीकी तीव्रतासे।
यह सच है कि यह हुल्लड़बाजी असहयोग आन्दोलनका परिणाम नहीं है, यह हमें विरासतमें मिली है। हमने सभाएँ करनेका ढंग पश्चिमकी विषैली परम्परासे लिया है और उससे हमारा नुकसान हुआ है। जोरसे प्रशंसा और विरोधके स्वरोंकी अभिव्यक्ति पूर्णतः पश्चिमी प्रथा है। अहिंसात्मक असहयोगके नये तरीकेके साथ हमें यह पुराना तरीका समाप्त कर देना चाहिए। ये दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। यदि हम धर्म और अधर्मके द्वन्द्वमें रत रहें, और यदि हम सचमुच धर्मकी शक्तिका प्रतिनिधित्व करें तो हमें वाक्-हिंसा भी त्याग देनी होगी और अपने विरोधियोंसे निपटनके सौजन्यतापूर्ण तरीके सीखने होंगे। इसलिए नितान्त नम्रता, शान्ति, साहस, आत्मबलिदान, अनुशासन और ईश्वरमें विश्वासके द्वारा हम इस्लाम और अपने देशका सम्मान कायम रखें तभी हम अपने देश और अपने विरोधियोंको अपना प्रशंसक और सहयोगी बना पायेंगे।
यंग इंडिया, १०-११-१९२०
२५८. तार : विट्ठलभाई झवेरभाई पटेलको
११ नवम्बर, १९२०
गांधी
प्राप्त अंग्रेजी तार (सी॰ डब्ल्यू॰ ५९९१) से।
सौजन्य : अ॰ भा॰ कांग्रेस कमेटी, नई दिल्ली