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२५९. तार : गिरधारीलालको[१]

बम्बई
[१४ नवम्बर, १९२० के पूर्व][२]

निषेधाज्ञा मानें। मोतीलालजी यहाँ नहीं हैं। लाजपतराय तथा अन्य लोगों को सूचित करें।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रैक्ट्स, १९२०, पृष्ठ १६३९

 

२६०. भाषण : विद्यार्थियोंके समक्ष[३]

१४ नवम्बर, १९२०

श्री गांधीने श्रोताओंके सम्मुख भाषण करते हुए कहा——भाइयो और बहनो, मैं इस सान्ध्यवेलामें आपको कोई ककहरा पढ़ाने नहीं जा रहा; बल्कि मैं आपको एक महत्त्वपूर्ण बात समझानेका प्रयत्न करूँगा। सबसे पहले मैं आपसे यह कह देना चाहता हूँ कि मैं नहीं चाहता कि ऐसे छात्र जो अपने मतोंसे भिन्न मत रखनेवाले किसी वक्ताके भाषणमें शोर मचाये बिना नहीं रह सकते वे स्कूलों और कालेजोंका बहिष्कार करें। यह आचरण असत्य होगा। यदि आप सत्यको प्राप्त कर लें और अपने अन्तरको शुद्ध बना लें तो स्कूलों और कालेजोंके बहिष्कारके मामलेमें अपने माता-पिताकी अवज्ञा करना भी गलत नहीं होगा। जो अपनी अन्तरात्माके विरुद्ध कार्य कर सकते हैं वे असहयोगके सिद्धान्तको अपनानेके योग्य नहीं हैं। जबतक आप अपने अन्तरको शुद्ध नहीं बना सकते और अपनी अन्तरात्माके आदेशका पालन नहीं कर सकते तबतक आप असहयोगके योग्य नहीं हैं। अगर आप सच्चे ब्रह्मचारी बनें और पूर्ण आत्मसंयम कर सकें तो आप अपने माता-पिताकी आज्ञाका उल्लंघन भी कर सकते हैं। यदि आप अपनी अन्तरात्माके आदेशपर अपने माता-पिताकी भी अवज्ञा करें तो इसमें कोई अनुचित बात नहीं होगी।

  1. गिरधारीलाल द्वारा प्राप्त इस तारके जवाबमें : "होमरूल सम्मेलन १९ से २१ नवम्बरतक होना तय। अमृतसर शहरपर राजद्रोहात्मक सभाओंका अधिनियम लागू हो गया है। आदेशका पालन करें या सभा करके उसका भंग। तार द्वारा अपनी और पंडित मोतीलालकी राय दीजिए। लाजपतराय और किचलू पक्षमें हैं।"
  2. यह तार बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रैक्टसमें १४ नवम्बरको गांधीजीके विद्यार्थियोंके समक्ष दिये गये भाषणकी रिपोर्टके साथ रखा गया था।
  3. इसका आयोजन शान्ताराम चाल, बम्बईमें हुआ था।