पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/५३८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२७१. भाषण : मलाडमें विद्यालयके उद्घाटनपर[१]

१७ नवम्बर, १९२०

विद्यालयके मालिकने संक्षेपमें संस्थाके उद्देश्य और हेतु बताये। उसके बाद श्री गांधीने विद्यालयके समारम्भकी घोषणा करके उपस्थित लोगोंको सम्बोधित करते हुए भाषण दिया।

उन्होंने प्रारम्भमें नियत समयपर वहाँ न आ सकनेके लिए खेद प्रकट करते हुए कहा, चूँकि मुझे जल्दी ही बम्बई वापस जाना है, इसलिए मेरे पास बहुत कम समय है और मुझे जो-कुछ कहना है, मैं आपसे बहुत संक्षेपमें कहूँगा। मेरे पास कुछ लुहारों और बढ़इयोंकी शिकायतें आई हैं कि प्रस्तावित विद्यालय उनके महत्त्वको कम करनेके उद्देश्यसे खोला जा रहा है। इससे मुझे बहुत दुःख हुआ। मुझे बहुत खेद है कि हमारे समाजमें एक वर्ग दूसरे वर्गसे इतनी घृणा करता दिखाई देता है। मैं विद्यालयके मालिकोंको सलाह देता हूँ कि वे अपना काम पूरी शक्तिसे चलायें और मैं उनकी सफलता चाहता हूँ। मैं अन्तरात्माकी आवाजको सबसे अधिक मूल्यवान मानता हूँ और यदि हममें कोई सच्चा मतभेद हो तो हमें उसकी कोई परवाह नहीं करनी चाहिए।

अन्तमें उन्होंने लोगोंको सलाह दी कि आप हर मामलेमें अपने पैरोंपर खड़े होना सीखे और इस उद्देश्यकी पूर्तिके लिए आपको असहयोगका प्रचार और उसपर आचरण करना होगा। भारतको राष्ट्रीय शिक्षाकी आवश्यकता है, ऐसी शिक्षाकी नहीं जैसी सरकारी स्कूलोंमें दी जाती है।

[अंग्रेजी से]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २२-११-१९२०

 
  1. यह विद्यालय लुहारगिरी सिखानेके लिए खोला गया था