१८. पत्र : वल्लभभाई पटेलको
बम्बई
शुक्रवार [९ जुलाई, १९२०][१]
मैं वहाँ सोमवारको जाऊँगा और उसी दिन लौट आऊँगा। राजकीय मण्डलको क्या करना चाहिए, इसके विषय में मैंने भाई इन्दुलालको पत्र[२]लिखा है; उसे देख लेना। मुझे आशा है कि वह असहयोगका निर्णय करेगी। हमें कौंसिलोंके सम्पूर्ण बहिष्कारका ही सहारा है।
भाई मावलंकर[३]आदिको खबर देना।
मोहनदासके वन्देमातरम्
बैरिस्टर
भद्र, अहमदाबाद
[गुजरातीसे]
बापुना पत्रो : सरदार वल्लभभाई पटेलने
१९. गुजरातका कर्त्तव्य
सारे देशमें इस समय कुछ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठ खड़े हुए हैं। मुख्यतया उनके समाधानपर ही भारतका भविष्य निर्भर करेगा। इस अवसरपर यदि हम दुर्बलता दिखायेंगे तो शापग्रस्त होकर रह जायेंगे।
इस लेखको 'गुजरातका कर्त्तव्य' शीर्षक मैंने जान-बूझकर दिया है। 'नवजीवन' का प्रकाशन गुजराती भाषा बोलनेवालोंके लिए ही होता है, इतना ही नहीं वरन् अपने जिन विचारोंके प्रति मेरे मनमें बहुत मोह है उन विचारोंको मैं गुजरातियोंके समक्ष अधिक विकसित रूपमें रखते हुए यथासम्भव अथक परिश्रमके साथ अपने जीवनमें उतार रहा हूँ।