दावेकी सही माना है कि भारतीय कम्पनियोंने अचल सम्पत्तिकी जो खरीदारियाँ की हैं वे सर्वथा वैध हैं।
बॉम्बे क्रॉनिकल, १२-७-१९२०
२५. तार : ख्वाजाको
बम्बई
[१२ जुलाई, १९२० के पूर्व][१]
स्थानीय पथ-प्रदर्शनके बिना देशी राज्योंमें असहयोग असम्भव।
गांधी
बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स, १९२०, पृष्ठ १०६४
२६. पत्र : मगनलाल गांधीको
सोमवार [१२ जुलाई, १९२० के पूर्व ][२]
मैंने आज आनन्दानन्दको तुम्हें यह सूचित करनेके लिये कहा है कि धारवाड़ के श्री काले मेलसे अहमदाबादके लिये रवाना होंगे। तुम उन्हें स्टेशनपर लेने जाना। वे तुम्हें यही बात विस्तारसे लिखेंगे।
मैं तो बाके विचारसे यह पत्र लिख रहा हूँ। देखता हूँ कि बाका मन प्रसन्न नहीं रहता। वह बीमार रहती है और अपनी शक्तिसे बाहर काम करती है। चूँकि निर्मला मेरे साथ आई है, इसलिए मैं देवदासको साथ नहीं लाया। देवदासकी उपस्थितिमें गोकी बहन तथा बाके साथ सलाह कर जो उचित जान पड़े सो उपचार करना। कपड़े धोने और बर्तन माँजनेका बोझ कम हो जाने से कदाचित् तुम्हारा काम चल जायेगा। रोटियोंकी कमी क्यों होती है, यह बात मेरी समझ में नहीं आती।
- ↑ दिल्ली भेजे गये तारको पुलिसने बीचमें ही रोककर १२ जुलाई, १९२० को जाँचा था।
- ↑ लगता है कि यह पत्र बम्बईसे लिखा गया था, स्पष्टतः यह १८-७-१९२० के नवजीवनमें की गई इस घोषणाके पहले लिखा गया था कि गणेश भास्कर काले द्वारा श्री रेवाशंकर मेहता पुरस्कारके अनुरूप एक चरखा बनाया गया है। देखिए खण्ड १६, पृष्ठ २२३-२४ । गांधीजी १२-७-१९२० को सोमवारके दिन ही अहमदाबाद पहुँचे थे।