रसोईमें कामका अधिक बोझ हो और कुछ फेरफार किया जा सकता हो तो करना। क्या फिलहाल वहाँ १५ व्यक्ति भोजन करते हैं? मैं बहुत करके सोमवारको वापस आ जाऊँगा।
बापूके आशीर्वाद
जन्य : राधाबेन चौधरी
२७. भाषण : फीजीके सम्बन्धमें
बम्बई
१३ जुलाई, १९२०
कल साम्राज्यीय भारतीय नागरिकता संघ (इम्पीरियल इंडियन सिटिजनशिप एसोसिएशन), बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन, भारतीय व्यापार संघ व कार्यालय (इंडियन मर्चेट्स चैम्बर ऐंड ब्यूरो), भारतीय होमरूल लीग, अखिल भारतीय होमरूल लीग, बॉम्बे नेशनल यूनियन और बम्बई प्रान्तीय कांग्रेस समितिके सम्मिलित तत्त्वावधानमें बम्बईके नागरिकोंकी एक सार्वजनिक सभा दक्षिण आफ्रिका और फोजीमें भारतीयोंकी स्थितिपर विचार करनेके लिए एक्सेल्सियर थियेटर, बम्बईमें हुई। सभाकी अध्यक्षता सर नारायण चन्दावरकरने की[१]। उपस्थिति बहुत अच्छी थी।
श्री गांधीने सभाके समक्ष निम्नलिखित प्रस्ताव रखा:
- (क) पूर्वी आफ्रिकाके रक्षित राज्य (ईस्ट आफ्रिकन प्रोटेक्टोरेट) में बसे हुए ब्रिटिश भारतीयोंके विरुद्ध बढ़ते हुए आन्दोलनको यह सभा भय और गहरी आशंकाकी दृष्टि से देखती है और आशा करती है कि भारत सरकार विशेषतः इस तथ्यका ख्याल करते हुए कि इस रक्षित राज्यपर सम्राट्की सरकारका सीधा नियन्त्रण है और इस बातको भी मद्देनजर रखते हुए कि भारतीय दक्षिण आफ्रिकामें यूरोपीयोंसे पहले आये थे, वैधानिक अथवा प्रशासनिक कानूनों द्वारा अपहरणसे भारतीयोंके अधिकारोंकी रक्षा करेगी, और यह भी आशा करती है कि भारत सरकार संरक्षक शासनसे यह कहेगी कि आजकल जो कानूनी या प्रशासनिक असमानता मौजूद है वह उसे दूर करे और इस प्रकार श्रेणी सम्बन्धी पूर्ण समानता स्थापित करे।
- (ख) जर्मन पूर्वी आफ्रिकाका जो हिस्सा [मित्र राष्ट्रोंके] अधिकारमें है और जिसे आजकल टांगानिकाके नामसे पुकारा जाता है, उसके प्रशासकके हाथमें
- ↑ १८५५-१९२३; समाज-सुधारक तथा बम्बई उच्च न्यायालयके न्यायाधीश; १९०० में कांग्रेसके लाहौर अधिवेशनके अध्यक्ष।