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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/६९

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भाषण : फीजीके सम्बन्धमें

दिये गये स्वर्गीय श्री गोखले[]और माननीय श्री मदनमोहन मालवीयके[] भाषण पढ़ें। इन दोनों सज्जनोंने गिरमिट-प्रथाका अन्त करानेके महान् प्रयासमें बहुत बड़ी सहायता की है। भारतके बाहर हमारे देशवासियोंका जो दर्जा माना जाता है उससे हमारे दिलोंमें जबरदस्त शर्मके साथ यह बात भी उत्पन्न होती है कि हम इस साम्राज्यके अन्त्यज हैं। स्वर्गीय श्री गोखले हमारा ध्यान उस व्यवहारकी ओर आकर्षित किया करते थे जो हम अपने ही बन्धुओं, अन्त्यजोंके प्रति किया करते हैं। वे यह भी कहा करते थे कि साम्राज्यके विभिन्न राज्योंमें हमारे देशवासियोंके साथ किया जानेवाला व्यवहार उस पापके प्रायश्चित्त स्वरूप है जो हम अपने देशवासियोंके पंचमोंके प्रति करते आ रहे हैं। इस समय जो प्रस्ताव सभाके सामने है उसमें फीजीके भारतीयोंकी वर्तमान दशाका विवरण है। उसके द्वारा हम सरकारसे यह माँग करते हैं कि भारतीयोंने जब वहाँ हड़ताल की थी वह उन दिनों तथा उसके बाद जारी किये गये मार्शल लॉके दिनोंका पूरा विवरण प्रस्तुत करे। इस प्रस्ताव द्वारा हम सरकारसे यह माँग भी करते हैं कि जो लोग फीजीसे चले जाना चाहते हैं उन्हें यात्रा सम्बन्धी सुविधा प्रदान की जाये। एक जहाज बन्दरगाहमें पहुँच चुका है। माननीय पं॰ मदनमोहन मालवीयको इस सम्बन्धमें समाचार मिल चुका है और उन्होंने उन बदकिस्मत लोगोंसे, जो यहाँ आये हुए हैं और जिनमें लगभग ५०० कोढ़ी भी हैं, मिलनेके लिए एक प्रतिनिधि भेजा है। मैं भारत लौटे हुए दो प्रवासियोंसे मिल चुका हूँ। उन्होंने मार्शल लॉके दौरान घटित घटनाओंका सजीव चित्रण किया। जो बातें उन्होंने सुनाई यदि वे सच हैं तो वह अमृतसरकी घटनाका दूसरा संस्करण ही है। फीजीमें स्थिति ठीक-ठीक क्या है इसे जाननेका भारत अधिकारी है। फीजीके डायरों[], ओ'ब्रायनों और बॉसवर्थ स्मिथोंको जानना आवश्यक है। जब सब तथ्य देशके सामने आ जायेंगे तब आप लोगोंका यह दुःखद कर्त्तव्य होगा कि आप लोग अत्याचारियोंको उचित दण्ड दिये जानेको माँग करें।

इस प्रस्तावमें श्री और श्रीमती मणिलाल डाक्टरके निर्वासनसे सम्बन्धित जानकारी हासिल करनेकी भी कोशिश की गई है। वे फीजीके नेता हैं। उन्हें निर्वासित क्यों किया गया? उनपर कोई मुकदमा नहीं चलाया गया था। यह निर्वासन लाला हरकिशनलाल[] तथा अन्य व्यक्तियोंके निर्वासनसे भी अधिक असह्य है। पण्डित मोतीलाल नेहरू[]

  1. गोपाल कृष्ण गोखले (१८६६-१९१५) ।
  2. (१८६१-१९४६); बनारस हिन्दू विश्वविद्यालयके संस्थापक।
  3. रेजीनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर (१८६४-१९२७); अमृतसर क्षेत्रके कमांडिंग आफिसर, जलियांवाला बागमें सभाके लिए एकवित शान्त जनतापर जिन्होंने गोलियाँ चलानेका हुक्म दिया था; देखिए खण्ड १७, पृष्ठ १२८-३२२ ।
  4. पंजाबके एक धनाढ्य व्यवसायी और महाजन।
  5. (१८६१-१९३१); वकील और राजनीतिज्ञ; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके दो बार सभापति।