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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 18.pdf/७६

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

निष्ठुरतापूर्ण आदेशोंके द्वारा सभी मार्शल लॉ अधिकारियोंके लिए निष्ठुरताका एक उदाहरण पेश किया। लेकिन सचमुच मुझे जिसके सम्बन्धमें कुछ कहना है वह कर्नल जॉन्सन भी नहीं है। पंजाब और भारतकी जनताका पहला काम तो कर्नल ओ'ब्रायन, श्री बॉसवर्थ स्मिथ, राय श्रीराम और श्री मलिक खाँकी सेवाओंसे मुक्ति पाना है। अब भी वे सरकारी नौकरीमें बने हुए हैं। उनका दोष भी उतना ही सिद्ध हो चुका है जितना जनरल डायरका। जनरल डायरकी जो भर्त्सना की गई है, उससे अगर हम सन्तुष्ट हो जाते हैं और पंजाब के प्रशासनको स्वच्छ बनानेके अपने स्पष्ट कर्त्तव्यकी उपेक्षा कर देते हैं तो उसका मतलब यह होगा कि हमने अपना फर्ज अदा नहीं किया। यह कार्य मंचोंसे लच्छेदार भाषण देने और प्रस्ताव पास करनेसे सम्पन्न नहीं होगा। अगर हम स्वयं कोई प्रगति करना चाहते हों और अधिकारियोंको यह एहसास कराना चाहते हों कि उन्हें अपने-आपको जनताका मालिक नहीं बल्कि ऐसा न्यासी और सेवक मानना है जो गलत आचरण करके और अपनेको न्यासके लिए अयोग्य सिद्ध करके अपने पदोंपर बने नहीं रह सकते हैं, तो उसके लिए कठोर कर्मकी आवश्यकता है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १४-७-१९२०
 

३१. रहस्यपूर्ण

दक्षिण आफ्रिकाकीआफ्रिकाकी[]प्रत्यावर्तन-योजना (रिपैट्रिएशन स्कीम) में कुछ अटपटापन जरूर है। मैंने यह कल्पना भी नहीं की थी कि अन्तरकालीन रिपोर्टका १९१४ के भारतीय राहत विधेयक से[]लेशमात्र भी सम्बन्ध हो सकता है। उस अधिनियमको मैं पूरा-पूरा पढ़ गया हूँ और श्री एन्ड्र्यूज से उस सम्बन्धमें बातचीत भी कर चुका हूँ। उस बारेमें श्री एन्ड्र्यू एन्ड्र्यूज द्वारा ध्यान आकर्षित किये जानेके समयतक मैं तो यह भूल भी गया था कि स्वयं उस अधिनियम में एक खण्ड[]ऐसा है जिसके अन्तर्गत अधिवासके स्वत्वसे वंचित करके निःशुल्क यात्राकी सुविधा प्रदान की जा सकती है। सरकारी वक्तव्य[]श्री एन्ड्र्यूज द्वारा दी गई सूचनाको पुष्टि करता है। मेरे मनमें उलझन इसलिए हो रही है कि राहत विधेयकके निःशुल्क यात्रा सम्बन्धी खण्डको कार्यान्वित करनेके लिए अन्तरिम रिपोर्टकी आवश्यकता क्यों समझी गई। राहत अधिनियम द्वारा रद किये गये नेटाल कानून के विभिन्न अधिनियमोंके अनेक खण्डोंका स्थान उपर्युक्त खण्ड ले लेता है। उन खण्डोंके अन्तर्गत तीन पौंडी कर अदा करनेके

  1. देखिए "पत्र : अखबारोंको", १-७-१९२० ।
  2. देखिए खण्ड १२, परिशिष्ट २५ ।
  3. खण्ड ६ ।
  4. १४-७-१९२० के यंग इंडिया में उद्धृत।