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३२. पुलिस सुपरिंटेंडेंट का आदेश

श्री गांधी अखबारोंको लिखते हैं:[१]

माननीय पंडित मदनमोहन मालवीयने गुजराँवाला (पंजाब) के पुलिस अधीक्षक (सुपरिटेंडेंट) श्री एफ॰ ए॰ हैरनके हस्ताक्षरोंसे जारी किये गये एक आदेशकी प्रति मुझे दी है। उनका कहना है कि अगर मुझे गुजराँवाला जिलेका——जिसका पूरा दौरा मैं अपने पंजाब-निवासके कालमें कर चुका हूँ——कोई अनुभव हो तो उसके आधारपर आदेशकी जैसी आलोचना कर सकूँ, करके उसे छपवा दूँ। आदेशपर ५ जून, १९१९ की तारीख पड़ी हुई है। स्मरण रहे कि १४ अप्रैल, १९१९को गुजराँवालाकी एक भीड़ द्वारा रेलवे पुलमें आग लगा दी जानेपर भीड़पर जो गोलीबारीकी गई थी, उसका निर्देशन करनेवाले यही सुपरिटेंडेंट हैरन थे। यह है वह आदेश:

गुजराँवाला
५ जून, १९१९

सेवामें
पुलिस सब-इंस्पेक्टर

अब यह लगभग निश्चित है कि कुछ ही दिनोंमें इस जिलेके शेष शहरोंपर से भी मार्शल लॉ उठा लिया जायेगा। इसका परिणाम यह होगा कि जो मामले मार्शल लॉ हटाये जानेके समय मार्शल लॉ आयोगोंके विचाराधीन होंगे, केवल उन्हीं मामलोंकी सुनवाई आगे भी मार्शल लॉके अधीन जारी रह सकेगी।
अन्य सभी मामलोंको, चाहे समरी अदालत द्वारा उनको जाँच की जा रही हो या उसके सामने उनकी सुनवाई चल रही हो, उठा लेना होगा और उसके बाद उनकी सुनवाई आम कानूनके अन्तर्गत ही हो सकेगी। इसका मतलब होगा इन मामलोंका काफी लम्बा खिंचना, क्योंकि आम कानूनके अधीन अदालतमें इनकी सुनवाई धीरे-धीरे होगी और अपील वगैरह भी की जायेगी। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि जो मामले समरी अदालतोंमें सुनवाईके लिए तैयार हों, उन्हें सुनवाईके लिए तुरन्त भेज दिया जाये, और जिन मामलोंकी अभी तहकीकात चल रही हो और वह तहकीकात जल्दी पूरी की जा सकती हो तो उनकी तहकीकात पूरी करके उन्हें भी तुरन्त सुनवाईके लिए भेज दिया जाये। इस जिलेमें पुलिसने अपेक्षाकृत कम मामले ही सुनवाईके लिए भेजे हैं, और इसलिए अवश्य ही ऐसे बहुत से लोग अभी यहाँ बच रहे होंगे जो
  1. यह बॉम्बे क्रॉनिकलके १५-७-१९२० के अंकमें अखबारोंके नाम पत्रके रूपमें प्रकाशित हुआ था।