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पुलिस सुपरिंटेंडेंट का आदेश
- अपराधी हैं और जिनके खिलाफ सबूत भी मौजूद हैं। इन लोगोंके मामलोंको तुरन्त सुनवाईके लिए भेजा जाये।
- जो मामले मुल्तवी पड़े हों, उन्हें पूरा करनेके लिए अब जोरदार कोशिश करनी चाहिए। शिनाख्तके लिए लोगोंको जल्दी ही जमा किया जाये और नये गवाह आदि जुटानेकी हरचन्द कोशिश की जाये ताकि वे अभियुक्तोंका दोष सिद्ध करनेमें सहायता दे सकें।
- फरार लोगोंको गिरफ्तार करनेकी ओर अबतक समुचित ध्यान नहीं दिया गया है। अब ऐसा करना जरूरी है। काँस्टेबिलों और सफेदपोशों [खुफिया पुलिस] को फरार लोगोंके पीछे लगा देनेमें जल्दी करनी चाहिए और उन्हें तुरन्त ही गिरफ्तार कर लेनेकी हर सम्भव कोशिश करनी चाहिए। उनकी गिरफ्तारीके लिए कुछ पुलिस स्टेशनोंको एक रुक्का लिख भेजना काफी नहीं है।
- मुझे अपने अफसरोंको यह समझानेकी जरूरत नहीं कि यह कितना आवश्यक है कि वे अपने सभी मामले तुरन्त पूरे कर लें और ऐसा प्रबन्ध करें जिससे मार्शल लॉ हटाये जानेके पूर्व काफी अभियुक्तोंके मामलोंकी सुनवाई हो जाये। अबतक सुनवाईके लिए भेजे गये मामलोंकी संख्याकी दृष्टिसे यह जिला अन्य जिलोंकी तुलनामें काफी पीछे है। इससे स्वभावतः यहाँको पुलिसको चुस्ती और फुर्तीकी आलोचना की जाती है। हालत सुधारनेके लिए अब भी कुछ किया जा सकता है, और अगर मेरे सभी अफसर दिलोजानसे इस काममें जुट जाते हैं तो कोई कारण नहीं कि जो लोग यहाँ तहकीकातका काम कर रहे हैं उन्हें उन कर्मचारियोंसे कम ख्याति मिले जिन्होंने लाहौर और अमृतसरमें तहकीकात की है। लेकिन अगर सुनवाईके लिए भेजे जानेवाले मामलोंकी संख्या इसी तरह कम रही तो निःसन्देह सभी सम्बन्धित व्यक्तियोंको उस कद्र और प्रतिष्ठासे वंचित रहना पड़ेगा जिसके कि कुछ दृष्टियोंसे वे हकदार हैं।
एफ॰ ए॰ हैरन
पुलिस सुपरिंटेंडेंट
इस जिलेमें बीसों गवाहोंने कांग्रेस उप-समिति के सामने यह बयान दिया कि मार्शल लॉके अन्तिम दिनों में गिरफ्तार लोगोंके जत्थे-के-जत्थे सुनवाईके लिए तथाकथित समरी अदालतों में भेजे गये। इन अदालतोंकी अध्यक्षता करनेवाले अधिकारी काफी रात गये तक वहाँ बैठा करते थे और उन्होंने सफाईके गवाहोंकी कोई बात सुने बिना सर्वथा निर्दोष लोगोंको भिन्न-भिन्न अवधियोंके लिए कारावासका दण्ड दे दिया। इस प्रकार सुनवाई करनेवाले एक अधिकारी थे कर्नल ओ'ब्रायन और दूसरे श्री बाँसवर्थ स्मिथ। ऊपर हमने जो आदेश उद्धृत किया है, उससे कांग्रेस द्वारा लिये गये बयानोंके तथ्योंकी पुष्टि होती है और मुकदमे किस तरह चलाये गये, इसका एक भयंकर चित्र सामने आता है। अकालगढ़, रामनगर तथा अन्य स्थानोंमें इसी तरह आनन-फानन,