कुछ यूरोपीयोंको मौतके घाट उतार देनेमें कोई बहादुरी नहीं है। बल्कि सच्चा साहस तो इस बातमें है कि जहाँ आप खड़े हो जायें वहाँसे, कुछ भी क्यों न हो जाये, तिल-भर हटनेको तैयार न हों। आप लोगोंको किसीका रक्त बहानेका अधिकार नहीं है। अपना रक्त आप अवश्य बहा सकते हैं। खिलाफतके प्रश्नको हल करनेका केवल यही मार्ग है। मैं उलेमाओंका परामर्श ले चुका हूँ। अगर आप लोगोंका भी विश्वास यही है कि असहयोग एक प्रकारका जिहाद या धर्मयुद्ध है, तो आप लोगोंको उसे अपनाना चाहिए। आप लोगोंको नगरनिगमकी सदस्यता त्याग देनी चाहिए और बावर्ची आदिकी नौकरियाँ भी त्याग देनी चाहिए। खिलाफत एक धार्मिक प्रश्न है और यदि आप लोग उस सम्बन्धमें दुखी हैं तो आपको आत्म-बलिदानी बनना चाहिए। हिजरतके बारेमें मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि आप वेशमें ही रहें और सब प्रकारके कष्ट झेलें। आप लोग नगरनिगमकी सदस्यता, उपाधियों या पदोंके लिए मरना चाहते हैं या खुदा के लिए?
पंजाबका पहला सवाल तो वह मुसीबत है जो पिछले बरस आप लोगोंपर बरपा हुई थी; दूसरा सवाल है डायर और ओ'डायरसे भी बदतर ओ'ब्रायन, बॉसवर्थ स्मिथ, श्रीराम और मलिक साहेब खाँ-जैसे आदमियोंका अबतक अपनी नौकरियोंपर कायम रहना। क्या आप लोग ऐसी परिस्थितियों में कौंसिलोंमें जाने और अपने बच्चोंको स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं?
ईश्वरसे न्याय उन्हींको मिलता है जो उसके पात्र होते हैं। आप लोगोंसे जमीनपर पेटके बल रेंगनेको कहा गया था, क्योंकि आप लोग उसके पात्र थे। यूरोपमें एक बालक भी ऐसा आदेश न मानता। क्या वहाँ यह सम्भव हो सकता था कि अगर किसी आदमीके पास टिकट नहीं है तो उसे गोलीसे उड़ा दिया जाये? यहाँ इसका कारण यही है कि आप लोगोंके पास शक्ति नहीं है। परन्तु कैसी शक्ति हमें चाहिए? यदि हमारे पास सहनशक्ति है तो सब कठिनाइयाँ शीघ्र ही दूर हो जायेंगी।
गांधीजीने अपने सम्बन्धमें श्री मॉण्टेग्यु द्वारा दिये गये वक्तव्य तथा श्री शौकतअली[१]और पंडित रामभजदत्तके कथनों का उल्लेख करनेके पश्चात् कहा कि यदि आप लोग हिंसात्मक कार्य करेंगे तो खिलाफतके प्रश्नके समाधानकी आशा जाती रहेगी। जलियाँवाला बाग-जैसी हजारों घटनाएं क्यों न घटित हो जायें परन्तु आप लोगोंको उत्तेजित नहीं होना है। फॉसीपर चढ़नेकी नौबत आ जाये तो भी——यद्यपि सरकारसे मैं यह आशा नहीं करता——आप लोगोंको उसके लिए तैयार रहना चाहिए। मैं आपके साहसको कम करनेके लिए पंजाब नहीं आया हूँ। निरे सिपाहीकी अपेक्षा वह व्यक्ति कहीं बढ़कर है जो कष्ट झेलनेको सदा कटिबद्ध है। आगामी पहली अगस्तको आप लोग मुकम्मिल हड़ताल रखें और ईश्वर-प्रार्थना करें परन्तु यह सब केवल स्वेच्छासे प्रेरित होकर करें। एक प्रस्ताव पास करना होगा परन्तु कोई जुलूस नहीं निकाला
- ↑ १८७३ - १९३८; मौलाना मुहम्मद अलीके भाई।