जायेगा। अगर सभा करनेकी मनाही होगी तो सभा भी न होगी। आप लोग पुलिस और सरकारके सब हुक्मोंको तामील करें। इतना कहनेके उपरान्त गांधीजीने असहयोगकी उन चार मंजिलोंको समझाया, जिनका केन्द्रीय खिलाफत कमेटी बम्बई ऐलान कर चुकी थी। गांधीजीने कहा कि पंजाबमें आधेसे ज्यादा मुसलमान हैं। यदि हिन्दू उनके साथ सहानुभूति रखेंगे तो यह कर्त्तव्य-पालन ही कहलायेगा। यदि हिन्दू और सिख मुसलमानोंसे अलग रहें तो भी मुसलमानोंको चाहिए कि वे अपने मनमें रहनेवाले ईश्वरके प्रति अपना कर्त्तव्य निभायें। पंजाबमें करोड़ों मुसलमान रहते हैं। यदि उनमें साहस और त्यागकी भावना हो तो वे क्या नहीं कर सकते? वे समस्त भारतको हिला सकते हैं। हिन्दुओंसे मैं यह कहना चाहता हूँ कि मैं मुसलमानोंका समर्थन करता हूँ और सब जगह उनके साथ जाता-आता हूँ सो हिन्दुओंके हितकी दृष्टिसे ही। अगर मुसलमानोंके साथ हिन्दू शान्तिपूर्वक रहना चाहते हैं तो उन्हें मुसलमानोंकी सहायता करनी चाहिए। मुझसे कई लोगोंने कहा कि खिलाफतका प्रश्न हल हो जानेपर मुसलमान हिन्दुओंका साथ छोड़ देंगे। मेरा उनका बीस बरसोंसे घनिष्ठ सम्पर्क रहा है; उसके बलपर मैं यह कह सकता हूँ कि यह आशंका मिथ्या है।
मैं गायोंकी रक्षा, हिन्दुओं और मुसलमानोंके बीच पारस्परिक प्रेमकी स्थापना और उसकी वृद्धिके द्वारा करना चाहता हूँ। खिलाफतमें सहायता पहुँचानेके बदलेमें दानस्वरूप नहीं।
अन्तमें आपसे मेरा निवेदन यह है कि आप लोग अनुशासनका पालन करना सीखें—— आज सुबह मेरे देखनेमें आया कि यहाँके रेलवे स्टेशनपर एक मुसाफिरका सामान भीड़के पैरों तले कुचला जा रहा था। उससे मुझे दुःख हुआ। आप लोगोंको अनुशासनका मूल्य समझना चाहिए और स्वयंसेवकोंको ऐसे सभी अवसरोंपर सुव्यवस्था कायम रखनी चाहिए। उन्हें भी स्टेशनके अन्दर भीड़ लगानेके बजाय स्टेशनके बाहर ही रहना चाहिए। आशा है कि पहली अगस्तको तनिक भी शोरगुल या अव्यवस्था नहीं होने पायगी। यदि लोग अपने-अपने विभागीय नायकोंके निर्देशोंके अनुसार चलें तो वे देखेंगे कि पंजाब और खिलाफतके प्रश्नका हल छः महीनेके अन्दर ही निकल आयेगा।
पंजाब-निवासियोंकी ओरसे डा॰ सैफुद्दीन किचलूने[१]अपने संक्षिप्त भाषणमें मौलाना शौकत अली और गांधीजीको, मुसलमानोंके लिए वे जो-कुछ कर रहे हैं उसके लिए, धन्यवाद दिया। रातके १२.४५ बजे सभा समाप्त हुई।
ट्रिब्यून, २०-७-१९२०
- ↑ पंजाबके एक कांग्रेसी नेता।