अगर इन [खिताबयाफ्ता] लोगोंमें अपने खिताब छोड़नेकी ताकत और भलमनसाहत न हो तो मैं इनके बजाय खानसामाओंसे ही कहूँगा कि सरकारी नौकरोंके लिए रोटी पकाना भी इस जालिम सरकारके जुल्मोंमें हाथ बँटाना है।...
मैं सिपाहियोंसे हथियार छोड़ देनेको तो कहँगा लेकिन यह नहीं चाहूँगा कि वे फिर कभी किसी दूश्मन पर हथियार उठायें। मैं उन्हें अपनी ही तरह बेतलवारका सिपाही बननेको कहँगा। मझमें कोई शारीरिक शक्ति तो है नहीं; लेकिन मैं मानता हूँ कि मेरी मर्जीके खिलाफ मुझसे कुछ भी नहीं कराया जा सकता। आगे समय आनेपर मैं किसानोंसे भी मालगुजारी न देनेको कहूँगा, लेकिन अभी मैं सिपाहियों और किसानों दोनोंसे कहूँगा कि जबतक कोई निर्देश नहीं दिया जाता तबतक वे कोई कदम न उठायें। हमारी लड़ाईकी खूबी अनुशासनमें है, इसलिए मैं अपने बेहथियार, बेतलवार सैनिकोंसे कहूँगा कि जबतक उन्हें हुक्म न दिया जाये तबतक वे कोई कदम न उठायें। समय आनेपर उन्हें हुक्म दिया जायेगा। लेकिन जबतक हमें यह नहीं लगता कि सारा हिन्दुस्तान अनुशासनको मानने लगा है तबतक हम सिपाहियों और किसानोंसे कुछ नहीं कहेंगे।...
ये लोग सेनामें भरती क्यों होते हैं? पैसेके लिए। जो पैसा इन्सानकी इन्सानियत ले ले, वह पैसा बहुत ही तुच्छ वस्तु है। क्या आप बॉसबर्थ स्मिथ, जॉन्सन, श्रीराम आदिके काले कारनामे भूल गये हैं? पेटके बल रेंगनेका आदेश क्या आप भूल गये हैं? मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप पैसेके लालचमें भरतीके जालमें न फँसें। मेहनत-मजदूरी करके अपनी रोटी कमायें और साफ कहें कि हम सेनामें भरती नहीं हो सकते। जरा सोचिए कि अगर पंजाब ऐसा करता है तो उसका कितना भारी असर होगा। जितने सिपाही पंजाब देता है उतने सिपाही और कौन-सा प्रान्त देता है? और अगर पंजाब सिपाही न दे तो वह कौन-सी ताकत है जो दूसरी जगहोंसे सिपाही प्राप्त कर सकती है?...
मैंने भी सरकारकी सिपाहीगिरी की है, लेकिन अब उससे ऐसा कह देनेका समय आ गया है कि तुम्हारी सल्तनतसे खुदाकी सल्तनत हमें हजार गुना अधिक प्यारी है। उस सल्तनतमें हम अपना धर्म कायम रख सकते हैं; तुम्हारी सल्तनत तो अन्यायपर टिकी हुई है। वह ईश्वरका विरोध करके खड़ी है, उसके प्रति हम वफादार नहीं हो सकते।
मार्शल लॉसे पंजाबकी नाक कटी है, उसका अपमान हआ है। इसे धोनेका यही तरीका है कि आप सरकारसे कह दें कि हम वफादार प्रजा बनकर रहना चाहते हैं, लेकिन उसी हालतमें जब सरकार सीधी चाल चले और पंजाबके साथ न्याय करे। जबतक आप [सरकार] ऐसा नहीं करते तबतक हमें आपसे कोई मुहब्बत, कोई लगाव नहीं हो सकता।...
मॉण्टेग्यु साहबने कहा है कि गांधीने देशकी सेवा तो की है, लेकिन अब वह पागल हो गया है, और जरूरत हुई तो उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है। अब मैं आपसे कहूँगा कि अगर गांधीको गिरफ्तार किया जाये तो आप लोग पागल