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भाषण : रावलपिंडी में

न बन जाइयेगा। किचलूकी गिरफ्तारीपर आप पागल हो गये थे, सत्यपालकी[१]गिरफ्तारीपर भी आप पागल हो गये थे। आपने मकान जलाये, निर्दोष लोगोंकी जाने लीं। अगर आप मुझे प्यार करते हैं तो हम दोनोंके गिरफ्तार कर लिये जाने या फाँसी पर लटका दिये जानेपर भी आप धैर्य से काम लें। मेरा खयाल है, अगर मैं प्रधान मन्त्री होऊँ और कोई ऐसा व्यक्ति, जिसे मैं पागल गांधी मानता होऊँ, मेरा विरोध करे तो मेरा दिल कहता है कि मैं भी अवश्य ही उस गांधीको अन्दमान भेज दूँ। मॉण्टेग्यु मुझे पागल मानते हैं; अगर वे सचमुच मुझे पागल मानें और गिरफ्तार कर लें तो इसमें गुस्सेकी क्या बात है? अगर आप मुझे पागल न समझते हों तो आप मेरा कहना मानें, और मेरा कहना मानकर जेल जायें। जहाँ किसी जालिमका राज हो वहाँ जेल महलके समान है और महल जेलके समान है। अगर आपने कभी जेल-महलका अनुभव प्राप्त किया है तो मैं जो कहता हूँ, उसे आप स्वीकार करेंगे। अगर आप मानते हों कि मेरी अन्तरात्माके माध्यमसे ईश्वर मुझसे जो-कुछ कहता है, आपसे मैं वही कहता हूँ तो आप मेहरबानी करके मुझे यह भरोसा दिलायें कि अगर सरकार मुझे सजा दे तो भी आप अपना गुस्सा पी जायेंगे, उसका विस्फोट नहीं होने देंगे; बल्कि सरकारसे बुलन्द आवाजमें यह कहेंगे कि चाहे हमें फाँसी दो या जेल, आपको हमारा सहयोग नहीं मिल सकता; आपको हमारा सहयोग जेलमें मिलेगा; फाँसीके तख्तेपर मिलेगा, लेकिन फौजी रिसालोंमें नहीं, विधान सभाओंमें नहीं; और न किसी और सरकारी महकमेमें।...

इस शिक्षाके लिए शारीरिक शक्तिकी जरूरत नहीं है और न कोई खास इल्म सीखने की जरूरत है। इसके लिए शौकत अली-जैसा शरीर भी नहीं चाहिए। इसके लिए बस एक ही तत्त्वको जानना जरूरी है—— धैर्यको। मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि वह आपको ऐसी प्रेरणा दे, ऐसी शक्ति दे कि हिन्दुस्तान और सब-कुछ भूलकर इस कामको अपने हाथमें ले ले। अगर हम इसे साध लें तो हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरेके प्रेमके गुलाम बनकर रहेंगे और वे दुनियाको यह हुक्म दे सकनेकी स्थितिमें होंगे कि बेईमानी और अन्याय बन्द करो।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १५-८-१९२०

 
  1. चिकित्सक और पंजाबके कांग्रेसी नेता; इन्हें १० अप्रैल, १९१९ को निर्वासित किया गया था।