४९. पत्र: गुड फैलोको
४ दिसम्बर, १९२०
प्रिय श्री गुडफैलो,
आपके पत्रके लिए कृतज्ञ हूँ। क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि हमारी यह सरकार जान-बूझकर शराबकी बुराईको बढ़ावा दे रही है और जबतक इस सरकारको समाप्त न कर दिया जाये अथवा उसमें आमूल-चूल परिवर्तन न कर दिया जाये तबतक सुधारके हमारे तमाम प्रयास व्यर्थ होंगे? जब कभी कुछ अधिक समयके लिए कलकत्ता आऊँगा तो आपसे सहर्ष मिलूँगा।[१]
हृदयसे आपका,
मो० क० गां०
- [अंग्रेजीसे]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे
सौजन्य: नारायण देसाई
५०. पत्र: हैदरीको
आरा [२]जाते हुए
४ दिसम्बर, १९२०
प्रिय मित्र,
हम लोग बाँकीपुरसे[३] अभी रवाना हुए हैं। मजहरुल हक हमारे साथ हैं। यह पत्र में यह सूचित करने के लिए लिख रहा हूँ कि पिछली रात महिलाओंकी एक सभामें[४] जब मैंने चन्देकी माँग की तो श्रीमती हकने अपनी हीरेमोतीकी चार जड़ाऊ चूड़ियाँ सामने रख दीं। आप श्रीमती हैदरीको मेरी ओरसे बधाइयाँ दें कि उन्हें एक ऐसी महिलाकी बहन होनेका सौभाग्य प्राप्त है जो देश और दीनके लिए अपनी प्यारीसे-प्यारी चीज खुशी-खुशी दे देती हैं। जब उन्होंने चूड़ियाँ मेरे सामने रखीं, मैं तो बस हर्ष-विह्वल