पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/१२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९३
भाषण: बेतियाकी गोशालामें

नामर्दी है। लाठीके सामने तलवार उठाना, एकके खिलाफ पचासका उठ खड़ा होना अपनी नामर्दी दिखाना है।

किन्तु कहीं आप मेरी इस शिक्षाका दुरुपयोग न करने लगें। मैं चाहता हूँ कि यहाँ बैठे हुए समझदार भाई आपको यह बात बार-बार समझायें। मुझे लगा कि आज में जो-कुछ देख आया हूँ, उसकी मुझपर जो प्रतिक्रिया हुई वह आपको न बताऊँ तो अधर्म होगा; लोग ऐसा मानेंगे कि में अपना कर्त्तव्य किये बिना यहाँसे चला गया। आप डरपोक न बनें, कभी नामर्द न बनें; फिर भी मैं चाहता हूँ कि आप किसीका खून न करें।

सरकारने एक भूल जरूर की। जो स्वयंसेवक वहाँ जाँचके लिए गये उन्हें उसने धमकानेका प्रयत्न किया, फुसलानेकी कोशिश की। परन्तु आप इन धमकियोंसे न डरें। स्वयंसेवकोंके सिरपर भी बहुत बड़ा फर्ज आ पड़ा है। उन्हें निडर होकर, शान्त रहकर अपना काम करते जाना है।

[गुजराती से]
नवजीवन, २२-१२-१९२०

६०. भाषण: बेतियाकी गोशालामें[१]

८ दिसम्बर, १९२०

गौरक्षा हिन्दू-धर्मका बाह्य रूप है। जो हिन्दू इस कामके लिए प्राण देनेको तैयार न हो, उसे मैं हिन्दू नहीं मानता। मुझे यह काम प्राणोंसे भी प्यारा है। जैसे नमाज पढ़ना मुसलमानोंका फर्ज है, वैसे ही गायको मारना भी उनका फर्ज होता तो मैं मुसलमानोंसे कहता कि मुझे तुमसे भी लड़ना पड़ेगा। परन्तु यह उनका फर्ज नहीं है। हमने उनके प्रति अपने बर्तावसे इसको उनका फर्ज बना दिया है।

जरूरत तो इस बातकी है कि गायको बचाने के लिए पहले खुद हिन्दू उसकी रक्षा करें; हिन्दू भी तो गायकी हत्या कर रहे हैं। फूंकेका प्रयोग करके गायका सारा दूध खींच लेना, गायकी सन्तान――बैलोंको आर भोंककर कष्ट देना और उनसे बूतेसे अधिक बोझा खिंचवाना, यह सब गायकी हत्या करने के बराबर है। गो-रक्षा करने के लिए हमें पहले अपना घर दुरुस्त करना चाहिए।

मुसलमान तो कभी-कभी ही खानेके लिए गायका वध करते हैं; परन्तु अंग्रेजों का तो गो-मांसके बिना एक दिन भी काम नहीं चलता । मगर उनके तो हम ताबेदार बने हुए हैं। जो सरकार धर्मकी रक्षा नहीं करती, उसकी पाठशालाएँ और अदालतें हमें अच्छी लगती हैं। यह बात मुझे आज ही मालूम हुई हो, ऐसा नहीं है; परन्तु पहले में उनका गो-भक्षण बर्दाश्त कर लेता था, क्योंकि मैं उम्मीद रखता था

  1. इस गोशालाकी स्थापना गांधीजीने ही, जब वे चम्पारन-सत्याग्रहके सिलसिले में बिहार में थे, की थी।