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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि उनसे मैं कुछ-न-कुछ काम ले सकूँगा परन्तु अब तो वह उम्मीद भी रही नहीं। इसलिए मैंने उसके विरुद्ध असहयोग घोषित कर दिया है। हम ऐसे समय गो-रक्षा करना चाहते हों, तो हमें मुसलमानोंकी बिला शर्त मदद करनी चाहिए। मैं रात-दिन शौकत अलीके साथ घूमता हूँ, तो भी मैं उनके सामने गो-रक्षाके बारेमें एक लफ्ज भी नहीं निकालता, क्योंकि आज तो मुसलमानोंकी सेवा करना ही हमारा धर्म है। मैं आज अपने पुत्र, स्त्री, और मित्र सवको इसके लिए अर्पण कर देनेको तैयार हूँ। हम सरकारपर मुग्ध रहे तो गायकी रक्षा नहीं कर सकते; और सरकारका त्याग करके मुसलमानोंका हृदय भी पिघला सकते हैं।

ऐसी गोशालाओंसे गो-रक्षा नहीं हो सकती। गोशालाओंको तो शहरके लिए सुन्दर दूध मुहैया कर सकना चाहिए। यह तभी हो सकता है, जब उनमें हजारों दुधारू गायें हों और गोशालाओंके पास हजारों बीघा जमीन हो। हम जब गायोंकी पूरी तरह रक्षा कर सकेंगे, तभी उनमें से कामधेनुएँ उत्पन्न होंगी। तभी भारतके दुःख, भूख, नंगापन और मानसिक हीनता आदि दूर होंगे। ये उद्गार अनायास ही मेरे मुँह से निकल गये हैं। मैंने गो-रक्षापर अभीतक ऐसी गम्भीर बातें कभी नहीं कहीं। आप गोमाताकी रक्षा कीजिए, गोमाता आपकी रक्षा करेगी।

[गुजरात से]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५

६१. भाषण: मोतीहारी में

९ दिसम्बर, १९२०

महात्माजीने कुर्सीपर बैठे-बैठे भाषण दिया। उन्होंने कहा कि यदि लोग मौजूदा गुलामीकी दशा तथा नौकरशाहीके अमानवीय अपमानोंसे छुटकारा पाना चाहते हैं तो उन्हें पूरे मनसे असहयोग आन्दोलनमें शामिल हो जाना चाहिए। उन्होंने लोगोंको समझाया कि एक दूसरेसे भाई-जैसा बर्ताव करना उनका कर्त्तव्य है। उन्होंने पुलिसको उसका कर्तव्य समझाते हुए बताया कि वे जनताको रक्षाके लिए हैं, न कि उन्हें परेशान करने के लिए। यदि वे उसकी रक्षा करनेमें चूकते हैं, तो कहना होगा कि कहीं और जाकर पनाह लेनी चाहिए। उन्होंने लौरिया थानाके अन्तर्गत एक गाँवमें की गई हालकी लूटमारका उल्लेख किया और वहाँ पुलिसने जो कार्रवाई की थी उसपर खेद व्यक्त किया। मौलाना शौकत अलीने भी जनताको पूरी शक्तिसे असहयोग अपनानेकी प्रेरणा दी और हिन्दू-मुस्लिम एकताकी वांछनीयताकी बात की। खिलाफतके सवालपर मुसलमानों के साथ खड़े होनेके लिए उन्होंने हिन्दुओंको धन्यवाद दिया और कहा कि मेरा पहला काम देशमें पूरी तरह गौवधको समाप्त करना होगा।

[अंग्रेजी से]
सर्चलाइट, २२-१२-१९२०