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टिप्पणियाँ

वक्ता क्यों न आये, आप सभीके भाषण समान आदरसे सुनें। आपके सामने जो काम है उसे पूरी लगनसे किया जाना है; इसलिए आपको चाहिए कि आप एकाग्र होकर उसमें जुट जायें। यदि आप चाहते हैं कि भारत एक वर्षमें स्वतन्त्र हो जाये, तो आप इस कार्य में अपनी समूची शक्ति लगा दें।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका,१६-१२-१९२०
 

७२. टिप्पणियाँ

बंगालमें दमन

भारत सरकारने असहयोग के सम्बन्धमें एक विज्ञप्ति[१] निकाली है। इसमें कहा गया है कि जबतक असहयोग आन्दोलन अहिंसात्मक बना रहेगा और जबतक वक्तागण नेताओं द्वारा निर्धारित मर्यादाओंसे बाहर नहीं जायेंगे, तबतक कमसे-कम फिलहाल कोई दमन नहीं किया जायेगा। यह पढ़ने में अच्छा लगता है। मैंने उसी समय कह दिया था कि इसमें कोई ज्यादा सचाई नहीं। दमन चल रहा है, इस बातके सबूत मुझे लगातार मिल रहे हैं। और अब तो नकाब उतर चुकी है। अब मुकदमोंका ढोंग खतम कर दिया जायेगा और उनकी जगह भारत रक्षा कानूनके अन्तर्गत निकाले गये आदेशोंसे काम लिया जायेगा। यहाँ कलकत्तासे जारी किया गया एक आदेश दिया जा रहा है:

चूँकि कलकत्ताके पुलिस कमिश्नरको यह राय है कि आप, कलकत्ताके नगेन्द्रनाथ भट्टाचार्यजी ऐसे उत्तेजनापूर्ण सार्वजनिक भाषण देते हैं जिनसे अपराधोंको उत्तेजना मिलने, सार्वजनिक शान्तिभंग होने और कानून एवं कानूनी सत्ताके खिलाफ प्रतिरोध पैदा होने और उसके प्रति घृणा फैलनेकी सम्भावना है, इसलिए १ जून १९१० तक संशोधित रूपमें भारतीय दण्ड संहिताके १८६६ के अधिनियम ‘क’ (ए) की धारा ३, खण्ड ६२-क और १८६६ के अधिनियम ११ की धारा ३ के खण्ड ३९ क के अन्तर्गत उनको सौंपी गई शक्तियोंके अनुसरणमें, पुलिस कमिश्नर आपको आदेश देता है कि आप, नगेन्द्रनाथ भट्टाचार्यजी आज, ६ नवम्बर, १९२० की तारीखसे एक वर्षातक कलकत्ता नगर और उसके उपनगरोंकी सीनाओं में कोई उत्तेजनापूर्ण सार्वजनिक भाषण न दें।

इस आज्ञापर ६ नवम्बरकी तारीख पड़ी है। यह पुरानी चाल है। कारण कुछ भी नहीं बतलाया गया है, उपद्रव होनेका एक अनिश्चित भय प्रकट किया गया है

  1. नवम्बर, १९२० में जारी की गई।