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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बुराई विरासत में मिली है। आन्दोलनमें भावुकता तो है, और यह रहेगी। जिस आदमीमें भावुकता नहीं होती, उसमें कोई भावना भी नहीं होती।

प्रश्न (घ) के बारेमें: आन्दोलनके हिंसात्मक रूप लेनेका खतरा तो निश्चय ही है, लेकिन जैसे हम स्वतन्त्रताका दुरुपयोग होनेके खतरेके भयसे स्वतन्त्रता पानेसे नहीं रुक सकते, उसी तरह अहिंसात्मक असहयोगको उसके हिंसात्मक रूप लेनेके खतरेके कारण नहीं छोड़ सकते।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १५-१२-१९२०
 

७३.चम्पारनमें डायरशाही

भारत एक ऐसा देश है जिसमें आये दिन दुःखजनक घटनाएँ होती रहती हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा घटनाएँ शायद चम्पारनमें होती हैं। पटनाके ‘सर्चलाइट’ अखबारमें अभी हाल में एक ऐसी भयानक दुःखजनक घटना होनेकी खबर छपी है। स्थानीय कांग्रेस कमेटी, जिसके अध्यक्ष श्री मजहरुल हक हैं, इसकी जाँच कर रही है। मैं इसके निष्कर्षके बारेमें पहलेसे कुछ नहीं कहना चाहता। मुझे मालूम हुआ है कि बिहार सरकार भी इस ओर ध्यान दे रही है। लेकिन चूंकि में असहयोग आन्दोलन सम्बन्धी दौरेके सिलसिले में मौलाना शौकत अलीके साथ उस समय बेतियामें था, इसलिए घटनास्थलपर भी गया और उस थोड़ी देरमें जो कुछ में समझ पाया उसे नीचे दे रहा हूँ।

यह दुःखजनक घटना, पिछले ३० नवम्बरके लगभग, बेतियासे १४ मील दूर एक जगहपर हुई थी। मैं समझता हूँ कि इसमें सरकारका, अर्थात् ऊँचे अफसरोंका कोई हाथ नहीं था। अंग्रेज बागान मालिकोंका भी कोई हाथ नहीं था। ऐसा मालूम होता है कि खास तौरसे यह पुलिसका काम था, और पुलिसने इसमें ऊँचे अधिकारियोंकी गैर जानकारी में बड़ी गैर जिम्मेदारीका काम किया है।

इसकी शुरुआत ग्रामीणोंके एक छोटेसे झगड़ेसे हुई। झगड़ेमें थोड़ी मारपीट हो गई थी। इस सम्बन्धमें पुलिसने वहींके एक प्रभावशाली आदमीको गिरफ्तार किया। ऐसा लगता है कि इससे ग्रामीणोंमें रोष फैला और उन्होंने उस आदमीको छुड़ा लिया और जिन सिपाहियोंने उसे गिरफ्तार किया था उनको भी घेर लिया। इससे पुलिसकी प्रतिष्ठाको गहरा धक्का लगा; वह उसे सहन नहीं कर पाई। कहा जाता है कि वहाँके एक दारोगाने वहाँ लूट करवा दी जो पुलिसकी देखरेखमें और उसके कहनेके मुताबिक हुई। पासके एक गाँव के लोगोंने भी उसमें हिस्सा लिया बताते हैं। घरोंमें कोई सामान――अनाज और जेवर――नहीं छोड़ा गया। कहा जाता है कि स्त्रियोंको भी मारा-पीटा गया और उनके जेवर छीन लिये गये। एक स्त्रीने मुझे बताया कि उसे नंगा कर दिया गया और उसकी आँखोंमें धूल भर दी गई। शौचके लिए बैठी एक दूसरी स्त्रीके साथ भी ऐसा ही घोर अभद्र व्यवहार किया गया। गाँवके लोग कायरोंकी