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चम्पारनमें डायरशाही

पुलिसके सिपाहीपर चोट कर देंगे और उसे मार भी डालेंगे । इसलिए उन्हें अहिंसाका श्रेय नहीं मिलता; बल्कि इसके विपरीत कायरता और अपौरुषका लांछन मिलता है। वे सरकार और मनुष्य दोनोंकी नजरोंमें निन्दनीय हैं।

किन्तु चम्पारनके लोग जैसी गिरी हुई हालत में हैं उसे देखते हुए उनके बीच अत्यन्त सँभल कर कार्य करना चाहिए। यदि कार्यकर्ता और वहाँकी जनता पुलिसको उसके वैध कर्त्तव्योंका पालन करने से रोकेगी, तो गलती करेगी; भले ही पुलिसके कार्य गैर-कानूनी सिद्ध हों या उनको गैर-कानूनी लगते हों, यदि पुलिस वारंटके बिना गिरफ्तारी करती है तो भी उसके आड़े नहीं आना चाहिए। कानून अपने हाथमें नहीं लेना चाहिए, बल्कि उसका पूरा-पूरा पालन करना चाहिए। चाहे कुछ भी क्यों न हो जाये कानूनका आश्रय न लेना ही किसी भी भयंकर भूलसे बचनेका उपाय है। इसलिए, यदि वे गलतीपर हों तो हर हालत में सजा भुगतेंगे । और जब वे ठीक मार्ग पर चल रहे होंगे, तब बहुत सम्भव है। बच जायें। उन्हें यह सन्तोष तो सदा रहेगा ही कि उन्होंने अपनी सम्पत्तिकी और उससे भी बढ़कर अपनी महिलाओंके सम्मानकी रक्षा की है या करनेका प्रयत्न किया है। इस मामले में गिरफ्तार किये गये मनुष्यको छुड़ा लेना अनुचित था, भले ही गाँवके लोगोंकी दृष्टिमें वह निर्दोष रहा हो। उनका यह कार्य इसलिए गलत था कि कानूनन पुलिसको गिरफ्तारी करनेका हक है। किन्तु पुलिसके आते ही उनका भाग जाना, उनकी कायरता थी। यदि वे अपनी महिलाओं और मालकी रक्षा करते तो यह ठीक होता। यदि वे भागे न होते तो वे बहुत अधिक संख्या में होनेके कारण अपनी सम्पत्तिकी रक्षा कर लेते और वहाँ जमे रहनेसे ही अपनी स्त्रियोंको भी बचा लेते। उस अवसरपर पुलिसको शारीरिक रूपसे जितनी चोट पहुँचाना अत्यावश्यक था उससे अधिक पहुँचाना तो कदापि उचित न होता। आवश्यकतासे अधिक बलका प्रयोग करना सदा ही कायरता और पागलपन होता है। वीर मनुष्य चोरको मार नहीं डालता; बल्कि उसे पकड़कर पुलिसको दे देता है। उससे भी अधिक वीर वह होता है जो इतना ही बल-प्रयोग करता है कि चोरको घरसे निकाल दे और फिर उसके बारेमें सोचेतक नहीं। सबसे अधिक वीर वह होता है जो समझता है कि चोर उससे अधिक समझदार नहीं है; अतः उसको समझाता है, और यद्यपि चोर उसपर प्रहार कर सकता है और उसे मार डाल सकता है, किन्तु इतना खतरा होनेपर भी वह उसपर बदले में प्रहार नहीं करता। कुछ भी हो, हमें यह कायरता और नामर्दी तो हर हालत में अपने अन्दरसे निकाल देनी चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया,१५-१२-१९२०