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भाषण: ढाका में

पता चलेगा कि यह राज्य शैतानका राज्य है, रावणका राज्य है। अगर आपसे कहा जाये कि आपको मुफ्त शिक्षा दी जायेगी, तब भी आपको रावणके स्कूलोंमें नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनमें शैतानियत भरी है। मैं अपने किसी भी अंग्रेज भाईको शैतान नहीं कहता। मैं श्री शौकत अली और श्री दासको जिस तरह प्यार करता हूँ, उसी तरह अंग्रेजोंको भी करता हूँ। लेकिन में इतना ही कहता हूँ कि यह शासन शैतानका शासन है। यदि ईश्वर मुझे पर्याप्त शक्ति दे दे, तो मैं सरकारको या तो सुधार दूँ या समाप्त कर दूँ। मैं सरकारको सुधारे बिना चैन नहीं लूंगा। में बहुत अच्छी तरह जानता हूँ कि मैं आज सरकारके राजद्रोह अधिनियमका भंग कर रहा हूँ। मैं इस सरकारकी राजभक्त प्रजा हूँ और उसका सच्चा मित्र भी हूँ, और इसीलिए सरकारसे कहता हूँ कि या तो वह अपनको सुधार ले या फिर नष्ट होनेको तैयार रहे। मैं इसको नष्ट करने में हिस्सा लूँगा और में आपसे भी कहता हूँ कि आप मेरा साथ दें। हम या तो इस सरकारको सुधार देंगे या मिटा देंगे। मैं यह नहीं देख सकता कि अंग्रेज लोग बिना किसी भयके काले लोगोंका अपमान करते रहें। मैं खुले मैदान में अंग्रेजोंसे मिलना और उनको यह बताना चाहता हूँ कि हम भी उतने ही ताकतवर हैं जितने कि वे हैं।

मैं अपने छात्र-मित्रोंसे कहना चाहता हूँ कि यदि आप मेरी सरल हिन्दुस्तानीको नहीं समझ सकते तो यह खेदजनक बात होगी। इससे प्रकट होता है कि हम कितने गिर गये हैं। इस सरकारने हमें बहुत धोखा दिया है। आपने यह बात समझ ली है; इसलिए आपको शिक्षा-संस्थाओंको बिना शर्त छोड़ देना चाहिए।[१]

एक मित्र और प्रिय सहकारीकी बातको न मानना मेरे लिए कठिन है।[२] में अपने भाषणकी विषय-वस्तुमें इतना डूब गया था और मेरे विचारोंका क्रम हिन्दीमें इतना बँध चुका था कि मुझे आशा थी कि मैं अपनी सारी बात हिन्दुस्तानीमें ही पूरी कर सकूँगा। लेकिन मैं मजबूर हूँ। श्री दास कहते हैं कि मुझे छात्रोंके विषय-पर अंग्रेजीमें बोलना चाहिए। मुझे ऐसा करते हुए कुछ दुःख होता है, लेकिन प्रसनता भी होती है। प्रसन्नता इस बातकी कि मैं उनकी इच्छा पूरी कर रहा हूँ और दुःख इस बातका कि मुझे अपना आशय एक ऐसे माध्यम से स्पष्ट करनेके लिए बाध्य होना पड़ता है जो आपके और मेरे, दोनोंके लिए विदेशी है। में छात्रोंको बता रहा हूँ कि उनका स्पष्टतम कर्त्तव्य क्या हो सकता है। यदि छात्रगण मेरे कहनेका तात्पर्य समझ गये हों और मेरी तरह अनुभव करते हों कि हमारी यह सरकार शैतान से प्रभावित है, यदि आप मेरी तरह यह अनुभव करते हों कि हमारी सरकार जो कुछ काम करती है उसका परिणाम कुल मिलाकर यह होता है कि हमारी गुलामीकी जंजीरें ढीली नहीं होतीं, बल्कि और ज्यादा कसती चली जाती हैं; यदि आप मेरी

  1. भाषणका यहाँ तक का अंश पश्चिम बंगालके पुलिसके इंस्पेक्टर जनरलके खुफिया विभागके रेक ईससे लिया गया है। भाषण मूलत: हिन्दीमें दिया गया था।
  2. इसके बाद उन्होंने चित्तरंजन दासके अनुरोधपर छात्रोंको अंग्रेजीमें अपनी बात समझाई। भाषणके इस अंशको अमृतबाजार पत्रिका में प्रकाशित अंग्रेजी रिपोर्टसे लिया गया है।