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भाषण: ढाका में

ही बनी रहेगी। मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि सरकारने जो महान भूलें की हैं यदि वह उनको सुधार ले तो हम उसे क्षमा कर सकें। इसलिए मेरे मित्रो, मैं कहता हूँ कि आपके सामने रास्ता बिलकुल स्पष्ट है। मैंने आपके सामने जो पक्ष रखा है, मेरी सम्मतिमें, वह भी साफ है। में एक क्षणके लिए भी यह कहना नहीं चाहता कि आपने इस सरकारसे कोई फायदा नहीं उठाया। लेकिन यह तो शैतानका तरीका है ही। जब शैतान किसी भले आदमीकी शकलमें आता है तो वह बड़ा ही मायावी बनकर आता है। एक समझदारीसे भरी कहावत है――‘जब यूनानी आपके सामने अपने उपहार लेकर आयें तो उनसे सावधान हो जाइये।’ यह सरकार जब आपको खिताब, कौंसिलकी सदस्यता, जजों और गवर्नरोंके ओहदे देनेकी बात कहे तो आप उससे सावधान रहें और सबसे ज्यादा सावधान आप भारतीय युवक, जिनको किसी भी पूर्वग्रह से मुक्त रहनेका अधिकार है, उस जालसे रहें जो इस सरकारने गुलाम बनानके इन कारखानोंको स्थापित करके विद्यालयोंकी शक्लमें आपके लिए बना रखे हैं। निश्चय ही आपको सरकारकी मातहतीमें नौकरियाँ मिल सकती हैं। आप डिप्टी-मजिस्ट्रेट या और कोई अधिकारी बन सकते हैं। लेकिन ये सब हमारी स्वतन्त्रताके नहीं, गुलामीके बिल्ले हैं। अगर आप यह अनुभव करते हैं कि आप इस सरकारको एक क्षणके लिए भी सहन नहीं कर सकते तो सम्मानका――भारतके आत्मसम्मान का――तकाजा है कि आप इन स्कूलों और कालेजोंको कल ही छोड़ दें। आपको इन स्कूलों और कालेजों में रहकर अपने मनमें न तो अश्रद्धा रखनी चाहिए और न अशोभनीय साधनोंका प्रयोग ही करना चाहिए। आपको यह नहीं कहना चाहिए कि आप इन स्कूलों और कालेजों में इस सरकारको नष्ट करने के उद्देश्यसे जाते हैं। मेरी रायमें यह बेवफाई होगी। दण्ड विधान में बतलाई हुई बेवफाई या कोई अन्य कृत्रिम रूपसे निश्चित बेवफाई नहीं, बल्कि ईश्वरके शाश्वत नियमोंके प्रति बेवफाई। यदि आप इस सरकारके स्थापित किये हुए इन स्कूलों और कालेजोंमें जाते हैं तो आपको उनमें निश्छल हृदयसे जाना चाहिए। मान लीजिए, गवर्नर स्कूलोंमें आते हैं और आपको खड़ा होना पड़ता है, आपको ‘गाड सेव द किंग’ गीत गाना पड़ता है। अंग्रेज लोग, अंग्रेजोंके रूप में और हम भारतीय सज्जनताके नाते ईश्वरसे यह प्रार्थना तो कर सकते हैं कि वह बादशाह जॉर्जकी रक्षा करे, किन्तु हम शुद्ध अन्तःकरणसे पुकार कर यह नहीं कह सकते कि “ईश्वर इस साम्राज्यके सम्राट्की रक्षा करे।” क्या इसका अर्थ यह है कि इंग्लैंडका वर्तमान शासक जो आज इंग्लैंडके बकिंघम पैलेसमें रहता है, अमर रहे? इसका अर्थ यह है कि यह ब्रिटिश साम्राज्य, जिसमें सूरज कभी अस्त नहीं होता, अमर रहे। और यदि आप भारतके युवकगण, जिनसे भविष्य में भारतको बहुत आशाएँ हैं और जिनपर राष्ट्रकी नींव टिकी हुई है, मेरी तरह यह अनुभव करते हैं कि जब गवर्नर आपके स्कूलों और कालेजोंमें गवर्नरके रूपमें आये तब आपके लिए उसके प्रति सम्मान प्रकट करनके लिए खड़ा होना सम्भव नहीं है, जब “गॉड सेव द किंग” का गीत स्कूलों में गाया जाये तब आपके लिए खड़ा होना सम्भव नहीं है, तो मैं आपसे कहता हूँ कि आप इन स्कूलों और कालेजोंमें मत जाइए, अन्यथा आप अपनी परम्परा और भारतके अतीत गौरवके प्रतिकूल कार्य करेंगे।

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