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भाषण: नागपुरकी सार्वजनिक सभामें

गुरु सभीका काम स्वयं नहीं करना चाहिए। मैंने जिस बड़े पत्रकी बात कही थी, वह यही है। मेरे हृदयके उत्कटतम प्रेम समेत,

तुम्हारा,
एल० जी०

[अंग्रेजी से]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई

 

८०. भाषण: नागपुरकी सार्वजनिक सभामें

१८ दिसम्बर, १९२०

हम दोनों भाई[१] पिछले कुछ महीनोंसे हिन्दुस्तान में घूम रहे हैं। हमारे अध्यक्ष महोदयने मौलाना साहबका परिचय नहीं दिया है क्योंकि वे छिंदवाड़ा[२]में बहुत समय तक आपके मेहमान रहे हैं। वे छिंदवाड़ा में किस तरह सरकारके मेहमान बने और आज हम क्या करते हैं, यह आप जानते हैं। जिन वकीलोंने वकालत छोड़ दी है उन्हें मैं बधाई देता हूँ और कहता हूँ कि इतने-भरसे काम नहीं चलेगा। आपने नागपुरमें[३] कांग्रेस बुलाई है, उसे आप किस तरह शोभान्वित करेंगे? मध्यप्रान्त में अच्छा काम हो रहा है तथा यहाँ होनेवाली कांग्रेस में अच्छा काम होगा, ऐसा मैंने सुना है। मद्यपान छुड़वानेका आन्दोलन यहाँ अच्छी तरह चल रहा है, यह एक सुन्दर बात है। मेरा कहना है कि इसे छुड़वाने में भी हमारी विजय निहित है। हम असहयोग करना चाहते हैं, इसलिए हमारा शराब पीना, नशेमें मत्त हो जाना और अभद्र व्यवहार करना शान्तिका मार्ग अपनाना कदापि नहीं है। अमन नहीं रखेंगे तो हम इस जन्ममें साम्राज्यको नहीं मिटा सकेंगे। इसे अगर हम दुरुस्त करना चाहते हैं अथवा मिटाना चाहते हैं तो हमारे पास शान्तिमय असहयोगके अलावा और कोई हथियार नहीं है। मैं कह रहा हूँ कि यह साम्राज्य शैतानियतसे भरा हुआ है। शैतानको मजबूर करना हो, दूर करना हो तो यह शैतानियतसे नहीं हो सकता।हमें खुदाकी ही मदद लेनी चाहिए। हमारी लड़ाई अधर्मके विरुद्ध धर्मकी लड़ाई है। पंजाबऔर खिलाफतके अन्यायके बावजूद साम्राज्य क्षमा नहीं माँगना चाहता। वह हमसे कहता है कि जो कहना या करना हो खिलाफत और पंजाबको भूलकर करो। जबतक हिन्दू और मुसलमानोंके बीच सच्ची एकता स्थापित नहीं हो जाती तबतक मैं दोनोंसे

  1. गांधीजी और मौलाना शौकत अली।
  2. जहाँ १९१५ के भारत रक्षा अधिनियमके अन्तर्गत मौलाना शौकत अली और मुहम्मद अली निगरानीमें रखे गये थे।
  3. गांधीजी १८ दिसम्बरको नागपुर पहुँचे थे; कांग्रेस अधिवेशन २६ दिसम्बरको होनेवाला था।