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भाषण: नागपुर कांग्रेसमें असहयोग सम्बन्धी प्रस्तावपर

अन्तमें खिलाफत और पंजाब सम्बन्धी सरकारकी गलतियोंको दूर करने तथा एक साल में स्वराज्यकी स्थापना करनेके लिए यह कांग्रेस समस्त सार्वजनिक संस्थाओंसे, चाहे वे कांग्रेससे सम्बद्ध हों चाहे न हों, सानुरोध निवेदन करती है कि वे अपनी पूर्ण शक्ति अहिंसा और सरकारके प्रति असहयोगकी वृद्धिमें लगायें। असहयोग आन्दोलन जनताके बीच परस्पर पूर्ण सहयोग द्वारा ही सफल हो सकता है। यह कांग्रेस संस्थाओंको हिन्दू-मुस्लिम एकता बढ़ाने तथा सभी प्रमुख हिन्दुओंसे जहाँ- कहीं ब्राह्मणों और अब्राह्मणोंके झगड़े हो उन्हें समाप्त करने तथा हिन्दुत्व को छुआछूतके कलंकसे मुक्त करनेकी दिशा में विशेष प्रयास करने और शंकराचार्य तथा अन्य हिन्दू आचार्योंसे अन्त्यज वर्गोंके साथ किये जानेवाले व्यवहारके सम्बन्धमें हिन्दू-धर्ममें सुधार करने की बढ़ती हुई इच्छाको सहायता प्रदान करनेकी प्रार्थना करती है।

अंग्रेजी प्रति (जी० एन० ८२३०) की फोटो नकलसे।

 

९९. भाषण: नागपुर कांग्रेसमें असहयोग सम्बन्धी प्रस्तावपर[१]

३०. दिसम्बर, १९२०

मैं आप लोगोंको बहुत देरतक रोकना नहीं चाहता लेकिन उन लोगोंके लिए जो हिन्दीका एक शब्द भी नहीं समझ सकते, यह जान लेना आवश्यक है कि यहाँ पिछले चौथाई अथवा आधे घंटेसे क्या होता रहा है। सबसे अधिक सम्मानित मुसलमानोंमें से एक मुसलमान भाई[२],जिन्हें जाननेका सौभाग्य मुझे सन् १९१५ से अर्थात् भारत आनेके पश्चात् पिछले चार या पाँच वर्षों में मिला है, अन्तरात्माके नामपर अपना एक संशोधन लेकर आगे आये हैं। उनके संशोधनका[३] आशय यह है कि आत्मा सम्बन्धी अनुच्छेद को न रखा जाये। वे उस अनुच्छेदको भी निकाल देना चाहते हैं जिसका आशय यह है कि आप १६ वर्षसे कम आयुके बच्चोंसे व्यक्तिगत अपीलें नहीं कर सकते। आपने इन दोनों वाक्यांशोंको देखा होगा। कानपुरके मौलाना हसरत मोहानीको उसी नगरके एक अन्य सुपरिचित तथा सम्मानित मौलानाका[४] समर्थन प्राप्त है और वे कहते हैं कि उन अनुच्छेदोंको निकाल देना चाहिए क्योंकि उनकी दृष्टिसे वे इस्लाम धर्मम बताये गये कर्तव्योंके प्रतिकूल बैठते हैं। मैं अपने मुसलमान भाइयोंका ध्यान इस ओर आकर्षित करने-

  1. इस अधिवेशनमें चित्तरंजन दास द्वारा प्रस्तुत असहयोग सम्बन्धी जिस प्रस्तावका समर्थन और अनुमोदन गांधीजी, लाजपतराय तथा अन्य लोगोंने किया था, हसरत मोहानीने इसमें एक संशोधन पेश किया। उसका उत्तर गांधीजीने पहले हिन्दी और बादमें अंग्रेजीमें दिया। प्रस्तावके लिए देखिए परिशिष्ट १।
  2. हसरत मोहानी।
  3. इस संशोधनका अभिप्राय यह था कि प्रस्तावके उस भागमें से जिसमें विद्यार्थियोंकी पढ़ाई तत्काल और बिना शर्त छुड़वानेका जिक्र था―― अन्तरात्मा सम्बन्धी अनुच्छेद और उम्रकी सीमाका उल्लेख निकाल दिया जाये।
  4. मौलाना अबुल कलाम आजाद।